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नवभारत डिजिटल डेस्क: देश में लोकतंत्र को मार दिया गया है। तमाम बातें हो रही हैं लेकिन चुनाव नहीं हो रहे हैं। एक साल बीतने के बाद भी पुणे और चंद्रपुर में उप चुनाव नहीं कराने के लिए कल हाईकोर्ट ने सरकार और चुनाव आयोग को फटकार लगाई। मुंबई मनपा के चुनाव सरकार नहीं करा रही है, सिनेट के चुनाव भी नहीं हो रहे हैं, क्या इसे लोकतंत्र कह सकते हैं? ऐसे शब्दों में आक्रोश व्यक्त करते हुए शिवसेना उद्धव गुट के नेता व विधायक आदित्य ठाकरे एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री को इस्तीफा देकर अपने (आदित्य) खिलाफ चुनाव लड़ने की चुनौती दी। 

ठाकरे ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं असंवैधानिक मुख्यमंत्री को करीब डेढ़ वर्षों से चुनौती दे रहा हूं कि वे अपने पद से इस्तीफा देकर या तो मेरे खिलाफ वर्ली से चुनाव लड़ लें या फिर मैं उन के खिलाफ ठाणे से चुनाव लड़ने को तैयार हूं लेकिन उनमें चुनाव लड़ने की हिम्मत ही नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि मूल रूप से कोई चुनाव नहीं है। सरकार जानबूझकर चुनाव कराने की हिम्मत नहीं कर रही है। इसलिए हमारी लड़ाई लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए जारी है।

अडानी के मुद्दे पर भी साधा निशाना
16 दिसंबर को प्रस्तावित धारावी में अदानी ग्रुप के खिलाफ शिवसेना (उद्धव गुट) के प्रस्तावित आंदोलन का समर्थन करते हुए ठाकरे ने कहा हमारा रुख यही है कि धारावी का विकास करते समय सिर्फ सरकार के मित्र या किसी एक व्यक्ति का विकास न हो तथा खासकर गरीबों को नुकसान न हो। जिन्हें मुनाफा कमाना है वे बेशक मुनाफा कमाएं लेकिन वो कैसा होगा, क्या होगा, इस पर सरकार का नियंत्रण होना चाहिए। इतनी सहूलियतें हम दे रहे हैं तो सरकार का लाभ होना चाहिए, इसलिए सरकार को खुद विकास करना चाहिए। यही महाविकास आघाड़ी की सोच है। 

मैंग्रोव्स के मुद्दे पर भी साधा निशाना
बोरीवली-विरार रेलवे के लिए मैंग्रोव्स के कुछ हिस्से को स्थानांतरित की जाने के प्रयास पर ठाकरे ने कहा कि मुझे पता चला कि ऐसा प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दिलचस्प बात यह है कि यह ज्ञात है कि मैंग्रोव्स को गढ़चिरौली में स्थानांतरित किया जाएगा। जबकि इसे मुंबई में आसपास के क्षेत्र में ही लगाना चाहिए। 

दिल्ली के इशारे पर चल रहे सीएम
उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास जांघ पर घाव है और सिर पर मरहम लगाने जैसा है। उन्होंने आगे कहा कि राज्य में किसानों की समस्या गंभीर होती जा रही है। ढाई हजार से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं, ऐसी खबरें अखबारों में प्रकाशित हुई हैं। उद्योग धंधे का पलायन पड़ोसी राज्यों में हो रहा है। मुख्यमंत्री दिल्ली के आदेश पर दूसरे राज्यों में दौड़ रहे हैं।