Nagpur High Court
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    नागपुर. काछीपुरा में खेल मैदान के लिए आरक्षित जमीन पर निर्मित किए गए धार्मिक स्थल को हटाने की मांग करते हुए न्यू रामदासपेठ काछीपुरा नागरिक मंडल ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान बदली स्थितियों को लेकर अपना पक्ष रखने के लिए याचिकाकर्ता की ओर से समय मांगा गया. जिसके बाद हाई कोर्ट ने 8 सप्ताह का समय देकर सुनवाई स्थगित कर दी.

    गत सुनवाई के दौरान मनपा की ओर से बताया गया था कि अदालत के आदेशों के अनुसार आपत्तियां मंगाने के लिए धार्मिक स्थल पर बोर्ड लगा दिया गया है. यहां तक कि बोर्ड लगते ही आपत्तियां आना शुरू हो चुका था. अदालत ने आपत्तियों पर उचित फैसला लेकर इसकी जानकारी हलफनामा के साथ अदालत के समक्ष रखने के आदेश मनपा को दिए थे. हाई कोर्ट ने इस धार्मिक स्थल पर क्या किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा अधिकार जताया गया, इसकी जानकारी प्रेषित करने के आदेश दिए थे. मनपा की ओर से अधि. सुधीर पुराणिक ने पैरवी की.

    राज्य सरकार को भेजा है वर्गीकरण का प्रस्ताव

    उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय की ओर से अनधिकृत धार्मिक स्थलों को हटाने के आदेश दिए जाने के बाद मनपा की ओर से शहर के सभी धार्मिक स्थलों का वर्गीकरण किया गया था. वर्गीकरण के अनुसार अ वर्ग के धार्मिक स्थलों को हटाने पर पाबंदी थी. जबकि ब वर्ग के धार्मिक स्थलों को हटाने की प्रक्रिया पूरी करनी थी. कार्रवाई के दौरान कुछ विवाद होने पर कमेटी की ओर से सूची को पुन: सुधारा गया. जिसमें इस धार्मिक स्थल को ब वर्ग से अ वर्ग में रखा गया. गत सुनवाई के दौरान मनपा की ओर से बताया गया कि इसे लेकर राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. अदालत का मानना था कि कार्रवाई से पहले मनपा नोटिस जारी कर अनधिकृत निर्माण हटाने के लिए कार्रवाई की सूचना उजागर करें. इसके उपरांत यदि किसी व्यक्ति को आपत्ति हो तो वह मनपा के पास अपनी आपत्ति दर्ज करा सकता है. 

    30 अगस्त 2019 को जारी किया था नोटिस

    -हाई कोर्ट में पहली बार 30 अगस्त 2019 को याचिका पर सुनवाई हुई. जिसमें प्रतिवादी पक्ष को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए.

    -8 नवंबर 2019 को दोनों पक्षों की सहमति से 2 सप्ताह के लिए सुनवाई टाल दी गई.

    -12 दिसंबर 2019 को पुन: दोनों पक्षों की सहमति से क्रिसमस के अवकाश तक के लिए सुनवाई टल गई.

    -17 दिसंबर 2019 को मामला सुनवाई के लिए आया. 

    -13 जनवरी 2020 तक सुनवाई टल गई.

    -8 जनवरी 2020 को सुनवाई के लिए रखा गया, किंतु फिर दोनों पक्षों की सहमति से 15 जनवरी को मामला रखा गया.

    -15 जनवरी 2020 को फिर दोनों पक्षों की सहमति से 4 सप्ताह के लिए सुनवाई टाल दी गई.

    -10 मार्च 2021 को आदेश जारी किए गए. 

    -5 अगस्त 2022 को सुनवाई टाल दी गई.