Devendra Fadnavis
देवेंद्र फड़नवीस (फाइल फोटो)

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नागपुर. डीसीएम देवेन्द्र फडणवीस ने स्पष्ट कर दिया कि गड़चिरोली में प्रस्तावित महुआ फूल से शराब बनाने का कारखाना नहीं बनाया जाएगा. आदिवासी युवाओं को रोजगार प्रदान करने के लिए महुआ से इथेनॉल जैसा ईंधन तैयार करने की संभावनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी. विधान परिषद में औचित्य के मुद्दे पर सदस्य सत्यजीत तांबे ने आदिवासी जिले गड़चिरोली में शराब कारखाने के भूमिपूजन का मुद्दा उठाया.

उन्होंने कहा कि जिले को व्यसन मुक्त करने के लिए अभियान चला रहे पद्मश्री डॉ. अभय बंग ने इसका विरोध किया है. इस पर देवेन्द्र ने कहा कि उक्त नीति निर्धारण करते समय डॉ. बंग को भी विश्वास में लिया जाएगा. जिले में महुआ फूल के संदर्भ में जानकारी ली जाएगी. वन संपदा से उद्योग बढ़ाने, अदिवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने, व्यवसाय वृद्धि के लिए निर्णय लिए जाएंगे. 

मंत्री ने कर दिया था भूमिपूजन

तांबे ने सदन में कहा कि जब वे गड़चिरोली गए तो डॉ. बंग ने जानकारी दी कि एमआईडीसी गड़चिरोली में राज्य के फूड एंड ड्रग मंत्री आत्राम के हाथों एलटीबी बेवरेज कंपनी के महुआ फूल से शराब बनाने के कारखाने का भूमिपूजन किया गया, जबकि डॉ. बंग की अध्यक्षता में जिला दारूमुक्ति संगठन ने सीएम एकनाथ शिंदे व डीसीएम फडणवीस को आदिवासियों का शराब से रक्षण करने का निवेदन दिया था.

जिले में 30 वर्ष से शराबबंदी है. आदिवासी भागों में शराब का व्यापार, बिक्री न हो यह केन्द्र व राज्य सरकार की नीति है. सीएम की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय कृति दल स्थापित कर 2016 से जिले में व्याप्त दारू, तंबाकू नियंत्रण पथदर्शी प्रयोग मुक्तिपथ नाम से शुरू है. 1100 गांवों में महिलाएं शराबबंदी करने लिए संगठित प्रयास कर रही हैं.