नासिक : जिले के प्याज उत्पादक किसान (Onion Productive Farmers), किसानों से जुड़े संगठनों से नाफेड (Nafed) के माध्यम से लाल प्याज (Red Onion) खरीदने के सरकार के दावे पर ही सवाल उठाए हैं। प्याज की कीमतों में आई भारी गिरावट के कारण प्याज उत्पादक किसानों के सामने संकट उत्पन्न हो गया है। प्याज उत्पादक किसान जिले के आठ केंद्रों की ओर से शुरू की गई प्याज बिक्री का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। सरकार का कहना है कि नाफेड के माध्यम से प्याज खरीदी गई है। किसान लगातार यह सवाल उठा रहे हैं कि प्याज की खरीदी कहां हुई है।
जिले में प्रमुख बाजार समितियों में भारी पैमाने पर प्याज का आगमन हुआ है। बताया जा रहा है कि हर दिन औसतन लगभग ढाई से तीन लाख टन प्याज बाजार समिति में आ रहा है। सरकार का दावा है कि अब तक 90 टन प्याज खरीदी जा चुकी है। चूंकि किसान इस खरीद से लाभ नहीं उठा रहे हैं, इसलिए इस बात का पता लगाना जरूरी है कहीं प्याज उत्पादक किसानों से नाफेड तो नहीं प्याज खरीद रहा है।
आयात-निर्यात नीतियों पर ब्रेक-देश में प्याज बांग्लादेश सहित खाड़ी देशों में बड़ी मांग में हैं। हालांकि, इस वर्ष बांग्लादेश ने भारत के प्याज के साथ-साथ अन्य कृषि उत्पादों की भी मांग की थी। स्वभिमानी शेतकरी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष संदीप जगताप ने सवाल उठाया कि प्याज के भाव में वृद्धि होने से पहले ही समितियों का गठन किया गया, लेकिन उसकी रिपोर्ट को कितना स्वीकार्य किया गया, यह बात की ओर सरकार का ध्यान दिला कर इस फसल को न्यूनतम 10-15 रुपए समर्थन मूल्य दिया जाए, ऐसा दावा भी जगताप ने किया।
नाफेड भी बाजारभाव से ही प्याज की खरीदी करने का लक्ष्य रखा गया है, उससे भाव में वृद्धि होने में मदद नहीं होगी, ऐसे बात भी जगताप ने कही। जगताप ने कहा कि गलत नीतियों के कारण प्याज का भाव किसान उत्पादकों के लिए परेशानी खड़ी हो रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने विश्वास में कंपनियों के माध्यम से प्याज खरीदना शुरू कर दिया है।
प्याज की खरीदी-बिक्री में पारदर्शिता लाने की आवश्यकता है। मूल मुद्दे को भटकने से इस गंभीर प्रश्न को हल नहीं किया जा सकता है।
- भारत दिघोले, संस्थापक-अध्यक्ष, राज्य प्याज उत्पादक संगठन।