नासिक जिले में ढाई हजार बच्चे कुपोषित, तीन महीने में 240 बच्चे कुपोषण से मुक्त

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    नासिक : नासिक जिला परिषद (Nashik District Council) ने आदिवासी आणि दुर्गम क्षेत्र के कुपोषित बच्चों (Malnourished Children) के लिए अमल में लाई गई योजनाओं के कारण विगत तीन महीने में लगभग 240 बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए हैं। महिला और बाल कल्याण और स्वास्थ्य विभाग (Women and Child Welfare and Health Department) की ओर से मानसून की समाप्ति के बाद अगस्त महीने में कराए गए सर्वेक्षण में नासिक जिले में 493 गंभीर कुपोषित बच्चे पाए गए। अक्टूबर में हुए सर्वे में यही आंकड़ा 253 पर पहुंच गया है। 

    कुपोषण दूर के लिए चलाई जा रही अभिनव पहल एक मुठ पोषण आहार का पैटर्न को भारी सफलता मिली है। जिला परिषद के महिला और बाल कल्याण विभाग के अंतर्गत अक्टूबर महीने में जिले में कराए गए सर्वेक्षण में 2190 बच्चे मध्यम कुपोषित और 253 बच्चे अति कुपोषित पाए गए हैं। कोरोना संकट काल में कुपोषित बच्चों की समस्या गंभीर हो गई थी। कुपोषित बच्चे मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में हैं और आदिवासी तालुकों में भी हैं और आंगनबाड़ियों के बंद होने के कारण बच्चों के पोषण की समस्या गंभीर हो गई है। 

    हालांकि इस दौरान जिला परिषद ने एकीकृत बाल विकास सेवा विभाग के तहत बच्चों को घर पर ही खाना उपलब्ध कराने का निर्णय लिया था, इसके साथ ही हर महीने दो से तीन बार घर-घर जाकर बच्चों का वजन लेकर यह सुनिश्चित किया जाता था कि उन्हें पर्याप्त भोजन मिल रहा है या नहीं, इस अवधि के दौरान, जिला परिषद ने ग्राम पंचायतों के माध्यम से मुट्ठी भर पोषण योजनाओं को लागू किया, जिसके परिणामस्वरूप कुपोषण में कमी आई। जिले में यह सिलसिला कोरोना संकट थमने के बाद भी जारी रहा। नतीजा यह हुआ कि कुपोषित बच्चों की संख्या घट रही है। 

    जिला परिषद का महिला और बाल कल्याण और स्वास्थ्य विभाग जिले में 0 से 6 वर्ष के बच्चों का वजन लेकर कुपोषण का सर्वे करता है। अक्टूबर महीने में 0 से 6 आयु वर्ग के 3 लाख, 38 हजार, 965 बच्चों में से 3 लाख 28 हजार 933 बच्चों का सर्वेक्षण किया गया, इनमें से 24 हजार, 952 बच्चों का वजन सामान्य से कम पाया गया, जबकि 6 हजार 764 बच्चे गंभीर रूप से कम वजन के पाए गए, इनमें से 2190 मध्यम अति गंभीर कुपोषित पाए गए, जबकि 253 बच्चे अति गंभीर कुपोषित पाए गए। 

    ऐसा है नाशिक का पैटर्न

    नासिक जिला परिषद कुपोषण की तर्ज पर घर-घर जाकर बच्चों को नियमित रूप से गर्म, ताजा पौष्टिक आहार और अमृत आहार के साथ-साथ पोषण कल्पवाड़ी और सूक्ष्म पोषक पूरक आहार का वितरण कर रही है। ग्राम पंचायत को गांव में कुपोषित बच्चों की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है और एक मुठ पोषण आहार की कार्ययोजना लागू कर रही है।