Malegaon Water Crisis Protest

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मालेगांव: तहसील के मालमाथ्या (Malmathya) में पेयजल की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है। यहां महीने में सिर्फ दो बार जलापूर्ति (Water Supply) होने से मालेगांव विधायक संघर्ष समिति और मालमाथ्या के आक्रोशित ग्रामीणों ने अपर समाहरणालय के समक्ष आंदोलन किया। स्थिति तो यहां तक पहुंच गई है कि गांव में जलापूर्ति नहीं होने के कारण यहां वैवाहिक संबंध भी नहीं बन पा रहे हैं। यहां जल किल्लत (Water Crisis) इतनी ज्यादा है कि हर घर में गृहिणी को एक बार पानी आने पर उसे 15 दिन तक संभाल कर रखना पड़ता हैं। 

पीने के पानी को 15 दिन तक जमा करके रखना पड़ता है, जिससे पानी से बदबू आने लगता है। पानी में कीड़े पड़ जाते हैं। पानी पीला हो जाता है। मालमाथ्या के ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से जलापूर्ति नियमित न होने से नाराज होकर पानी के बिल का भुगतान न करने का निर्णय लिया है। इतना ही नहीं, गांव के लोगों ने मतदान का बहिष्कार करने का भी संकल्प व्यक्त किया हैं।       

जनसंख्या बढ़ने से जलापूर्ति कम पड़ने लगी

70 के दशक में मालमाथ्या के 42 गांवों के लिए लुल्ले बांध से पीने के पानी की योजना लागू की गई थी। जनसंख्या बढ़ने के साथ इस बांध से की जाने वाली जलापूर्ति कम पड़ने लगी। 1995 में गठबंधन काल में गिरणा बांध से दहीवाल सहित 26 गांवों के लिए एक नई जलापूर्ति योजना बनाई गई। यह योजना 2008 में लागू की गई थी, लेकिन पिछले कई वर्षों से महीने में 3 या 4 बार ही पीने का पानी मुहैया कराया जाता है। इससे ग्रामीणों की पेयजल की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही है।

मालमाथ्या पहले से ही सूखा प्रभावित क्षेत्र 

चूंकि मालमाथ्या पहले से ही सूखा प्रभावित क्षेत्र है, इसलिए गर्मी में पानी की अधिक कमी हो जाती है। पिछले कई वर्षों से इस क्षेत्र में पीने के पानी का रोना रहा है। वास्तव में मंत्री भुसे को इस समस्या के समाधान की ओर ध्यान देना चाहिए। आजादी के 75 वर्ष के बाद भी मालमाथ्या में पेयजल किल्लत का मुद्दा क्यों नहीं सुलझ पाया? यह सवाल यहां रहने वाले लोगों के बीच से उठाया जा रहा है। आंदोलन में निखिल पवार, केएन अहिरे, आरडी निकम, शेखर पगार, पंचायत समिति सदस्य अरुण पाटिल, तहसील कांग्रेस अध्यक्ष राजेंद्र ठाकरे, शुभम भदाने समेत अन्य लोग उपस्थित थे। 

आंदोलन और तेज करने की चेतावनी

जब तक इस क्षेत्र की पेयजल समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो जाता, तब तक धरना-प्रदर्शन, आमरण अनशन, मार्च आदि आंदोलन जारी रहेगा। जैसे-जैसे समय बीतेगा, आंदोलन को और तेज किया जाएगा। गुगलवाड़ की विभिन्न कार्यकारिणी समितियों के अध्यक्ष व ग्राम पंचायत सदस्यों ने दहीवाल सहित 20 गांवों के हितग्राहियों से अपील की कि जब तक उन्हें हर दो दिन में पर्याप्त पानी नहीं मिलता, तब तक पानी के बकाया बिल का भुगतान न करें, मालेगांवकर विधायी कार्य समिति के संस्थापक अध्यक्ष निखिल पवार, लोकतांत्रिक धड़क मोर्चा के संस्थापक अध्यक्ष शेखर पगार आदि ने कहा है कि सरकार इस आंदोलन को हल्के से न ले।

जब तक पानी के मुद्दे का शत-प्रतिशत समाधान नहीं हो जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। जल्दी ही इस मुद्दे को लेकर नाशिक जिले के पालक मंत्री दादा भुसे के कार्यालय पर मार्च निकाला जाएगा।

- आर.डी. निकम, गुगलवाड़,

यह तहसील का दुर्भाग्य है कि यहां के लोगों को कोई सही जनप्रतिनिधि नहीं मिला है। तहसील को कैबिनेट मंत्री मिलने के बावजूद यहां के लोगों को पेयजल के लिए मोहताज होना पड़ रहा है। यह एक बहुत बड़ी त्रासदी है।

-शेखर पगार, अध्यक्ष लोकतांत्रिक धड़क मोर्चा

यदि पालकमंत्री के तहसील के लोगों को पीने के पानी के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है तो यह निश्चित रूप से शर्म की बात है। विभिन्न कार्यक्रमों पर लाखों खर्च करने के बजाय, पालकमंत्री को हर दिन टैंकर से जलापूर्ति कराने की व्यवस्था करानी चाहिए।

- निखिल पवार, अध्यक्ष मालेगांव विधान संघर्ष समिति