Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation
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    पिंपरी : राज्य सरकार (State Government) द्वारा की गई घोषणा के बाद अंततः पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका चुनाव (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation Elections) के लिए तीन सदस्यीय प्रणाली के हिसाब से की गई वार्ड संरचना (Ward Structure) रद्द करने की अधिसूचना जारी कर दी गई। अब फिर से नए तरीके से वार्ड संरचना तैयार की जाएगी।

    सरकार ओबीसी (OBC) के बिना चुनाव कराना नहीं चाहती, इसलिए मंत्रिमंडल में विधेयक पारित कर नगर निकाय चुनावों को 6 महिने आगे ढकेलने की कोशिशें जारी हैं। इसकी कार्यवाही हालही में  की गई वार्ड संरचना रद्द करने से शुरू की गई है। अब अगर नए से संरचना करनी होगी तो उसके लिए 6 माह जा कालावधि लगेगा।

    चुनाव आगे करने की तैयारियों ने जोर पकड़ा

    हालांकि अब निर्वाचन आयोग की भूमिका की ओर निगाहें गड़ गई हैं। राज्य निर्वाचन आयोग के आदेश के अनुसार महानगरपालिका प्रशासन ने 2022 के चुनाव के लिए वार्ड संरचना का ढांचा तैयार किया गया था। ये वार्ड तीन सदस्यीय प्रणाली के हिसाब से बनाए गए थे। आगामी चुनावों के लिए वार्ड संरचना का मसौदा 1 फरवरी को प्रकाशित किया गया था। इसमें 3 सदस्यों के 45 व 4 सदस्यों के 1 वार्ड थे। 1 से 14 फरवरी के बीच वार्ड संरचना पर आपत्तियां और  सुझाव आमंत्रित किये गए थे। इन आपत्तियों पर 25 फरवरी को सुनवाई की गई। इसके अलावा वार्ड वार मतदाता सूची तैयार करने का काम भी पूरा किया गया। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण पर पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को खारिज कर दिया। इससे सियासी दलों को जोरदार झटका लगा और चुनाव आगे करने की तैयारियों ने जोर पकड़ा।

    निर्वाचन आयोग और अदालत के फैसले पर सभी की निगाहें 

    हाल ही में राज्य सरकार ने विधानसभा और विधान परिषद में वार्ड गठन, चुनाव की तारीखें तय करने का अधिकार राज्य निर्वाचन आयोग से राज्य सरकार को सौंपने का विधेयक पारित किया। विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर भी हुए, इसके बाद यह कानून बन गया। इसके तुरंत बाद राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर तीन सदस्यीय वार्ड संरचना को रद्द कर दिया है। महानगरपालिका के अतिरिक्त आयुक्त जितेंद्र वाघ ने कहा, महानगरपालिका चुनाव को लेकर जैसे सरकार और निर्वाचन आयोग के आदेश आएंगे, आगे की कार्रवाई उसी के अनुसार की जाएगी। बहरहाल राज्य सरकार द्वारा पारित किए विधेयक और ओबीसी आरक्षण पर फैसले तक नगर निकाय चुनाव टालने की कोशिशों पर निर्वाचन आयोग और अदालत के फैसले पर सभी की निगाहें गड़ गई हैं।