जलापूर्ति योजना को मंजूरी की प्रतीक्षा, 4 वर्ष पहले तैयार डीपीआर की अनदेखी

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कारंजा घाड़गे (सं). शहर में जलापूर्ति की समस्या निरंतर बनी हुई है़ इस कारण 4 वर्ष पूर्व शहर की जलापूर्ति के लिए एडीसी नागपुर की कंपनी के माध्यम डीपीआर से तैयार किया गया़ वहीं आज भी जलापूर्ति योजना को मंजूरी की प्रतीक्षा कायम है़ इस वर्ष भी गर्मी के मौसम में नागरिकों को पेयजल के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है़ पहलीबार 2015 में नगर पंचायत में कांग्रेस को सत्ता मिली थी.

2015 से कार्यरत नगरसेवकों ने विकास का ध्येय स्वीकार करके अनेकों विकासात्मक काम शहर में किए. शहर की मुख्य समस्या जलकिल्लत होने से इसका निराकरण जरूरी था़ इसलिए 2017-18 में कारंजा शहर की जलापूर्ति का डीपीआर तैयार करने के लिए नागपुर की एडीसी कंपनी को दिया था. परंतु दो वर्ष में कारंजा शहर में जलापूर्ति डीपीआर तैयार कराकर दिया.

इस दौरान वैश्विक महामारी कोरोना बीमारी तथा एक वर्ष प्रशासक होने से यह मांग पूर्ण नही हो सकी. परंतु पुन: जनता ने विश्वास रखकर नगर पंचायत में कांग्रेस को अवसर दिया. बाद में नगरसेवक ने तत्कालीन पालकमंत्री सुनील केदार एवं पूर्व विधायक अमर काले से सतत संपर्क साधकर व नगर पंचायत कांग्रेस पदाधिकारी, नगरसेवक तथा कर्मचारी यह महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण नागपुर में बार-बार मांग कर रहे थे.

मंत्रालय में फाइल अधर में अटकी 

जलापूर्ति योजना की मांग को लेकर अंतिम चरण में होने वाले 20 करोड़ 2 लाख की जलापूर्ति विभाग को तकनीकी मंजूरी मिली. प्रथम चरण मंजूर होने की बात कही गई थी. जलापूर्ति योजना की फाइल यह सरकार के पास मुंबई में पहुंची. जल्द ही जलापूर्ति योजना को निधि उपलब्ध किया जाने बाबत आश्वासित किया. नल योजना का 14 करोड़ का प्रस्ताव 22 करोड़ पर पहुंचा. पुन: संशोधित वही प्रस्ताव सरकार ने अमृत पेयजल दो योजना के अंतर्गत मंगाया. प्रस्ताव की कीमत 33 करोड़ 86 लाख  है. प्रस्ताव को 9 दिसंबर 2022 को तकनीकी मंजूरी मिली. यह प्रस्ताव मंत्रालय में मंजूरी के लिए प्रलंबित है. इस ओर जनप्रतिनिधि ने ध्यान देने की आवश्यकता है.

योजना की निरंतर की गई अनदेखी

शहर का पानी प्रश्न यह पिछले अनेक वर्ष से प्रलंबित है. कारंजा ग्रामपंचायत के पश्चात नगर पंचायत बनी. बाद में कांग्रेस की सत्ता स्थापित हुई. पुन: नगर पंचायत पर कांग्रेस का वर्चस्व दिख रहा है, परंतु कांग्रेस के वर्धा जिले के तत्कालीन पालकमंत्री सुनील केदार थे. उन्हें यह समस्या हल कराने में असफलता मिली. अब कारंजा की जल समस्या अत्यंत गंभीर बनी है. इस ओर किसी भी राजनीतिक पार्टी का ध्यान नहीं दिख रहा. उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने पर महाविकास आघाड़ी सरकार गिरी.

राज्य में भाजपा-शिवसेना की सत्ता है. कारंजा की जलापूर्ति समस्या की ओर विधायक दादाराव केचे तथा वर्धा जिले के पालकमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कारंजा शहर की जलापूर्ति योजना के लिए पहल करते हुए योजना जल्द से जल्द मंजूर कराकर समस्या हल करने की मांग जोर पकड़ रही है.