30 लाख रुपयों का रास्ता न बनाकर ही कर ली एमबी. और सीसी तैयार, प्रभारी उपअभियंता तथा कनिष्ठ अभियंता का कारनामा

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    • जि.प.निर्माणकार्य विभाग के प्रभारी उपअभियंता तथा कनिष्ठ अभियंता का कारनामा

    महागांव. जिलापरिषद निर्माणकार्य के जरीए मंजुर और प्रस्तावित रास्ता न बनाकर ही इसकी एमबी. और सीसी बनाकर 30 लाख रुपयों का निधी हडपने का प्रयास अधिकारी की सतर्कता से तहसील में उजागर हुआ है.रास्ते विकास का प्रमुख साधन है, देहातों, गांवों के नागरिकों को मुख्य बाजारपेठ से जोडकर उन्हे विकास की मुख्य धारा में लाने की राह सरल करने केंद्र और राज्य सरकार की ओर से करोडों रुपए रास्ते निर्माण के लिए मंजुर किए जाते है.

    लेकिन कुछ भ्रष्ट अधिकारी इस राशि पर निगाहें गडाकर सरकार के मुख्य मकसद को ही कालीमा फांसने जैसा मामला महागांव तहसील में घटीत हुआ है.तहसील के हिवरा संगम जिप.सर्कल के टेंभी से हिवरा रास्ते से कवठा गांव की ओर जानेवाले 1 किलोमिटर लंबे रास्ता निर्माण करने के लिए 30-54 योजना से रास्ते को मंजुरी दी गयी थी, यह कार्य जिलापरिषद निर्माणर्का विभाग के अधिन आता है.

    जिससे इस विभाग से रास्ता बनाने के लिए 30 लाख रुपयों का निधी मंजुर किया गया था.लेकिन महागांव के जिप.निर्माणकार्य विभाग के तत्कालीन प्रभारी उपअभियंता एम.एच कुमठे ने ज्युनियर महिला अभियंता और ठेकेदार से हाथ मिलाकर रास्ते का काम न करते हुए ही इस काम की फर्जी एमबी.(मोजमाप पुस्तिका) और सिसी यानी काम पुरा होने का प्रमाणपत्र बनाकर बील निकालने के लिए इसे यवतमाल स्थित जिप. के प्रमुख निर्माणकर्य विभाग को भेजा, लेकिन यहां पर कार्यरत यावले नामक कर्तव्यदक्ष अधिकारी के ध्यान में यह मामला आया, जिसके बाद उन्होने इस न बनाए गए रास्ते का बील निकालने से मना कर दिया, जिसके बाद यह मामला उजागर हो गया.

    प्रभारी अधिकारी के इस कारनामे के बाद उसके कार्यकाल में तहसील में अनेक विकासकामों पर संदेह निर्माण हो चुका है. एैसे में सरकारी सेवा में रहकर सरकार से धोखाधडी करनेवाले कुमठे जैसे भ्रष्ट अधिकारी और उसे साथ देनेवाली कनिष्ठ महिला अभियंता तथा ठेकेदार पर क्या कारवाई होंगी, इस ओर नागरिकों का ध्यान लगा हुआ है.

    जिप.निर्माणकार्य विभाग की ओर से 30-54 लेखा शिर्षक के तहत कवठा से हिवरदरी इस तरह अनुमानित तौर पर 2 किमी.रास्ते के के काम के लिए 30 लाख रुपए मंजुर किए गए है, लेकिन यह काम पुरा न करते हुए ही मार्च माह में एमबी.और सीसी बनाए जाते समय काम के लोकेशन पर कुछ सामान लाकर डाला गया, इसमें सरकार की आंख में धुल झोंककर सरकार को लूटनेवाले अधिकारी, ठेकेदार पर फौजदारी मामले दाखिल होने चाहीए, अन्यथा इस अनियमितता के खिलाफ विधिमंडल में आवाज उठाया जाएंगा.

    विधायक नामदेवराव ससाणे

    काम पुरा किए बिना ही एमबी.और सीसी किस तरह बनायी जा सकती है? इस काम में प्रशासन के अनेक अधिकारीयों का एैसे भ्रष्ट कामों को अभय मिल रहा है, उसके बल पर ही उपअभियंता,कनिष्ठ अभियंता बोगस काम कर सरकार को धोखा दे रहे है, जिससे उनके कार्यकाल के सभी विकासकामों की जांच होना जरुरी है, तत्कालीन उपअभियंता और कनिष्ठ अभियंता के खिलाफ कानूनी कारवाई करने की अपेक्षा है.

    विलास भुसारे

    पुर्व जि.प.सदस्य यवतमाल

    काम न करते हुए ही एमबी.और सीसी बनाने का यह गंभीर मामला है, जिससे इस मामले के जांच के आदेश दिए गए है. जांच रिपोर्ट मिलने पर दोषीयों के खिलाफ कारवाई की जाएंगी.

    दिलीप कुठे 

    कार्यकारी अभियंता जिला परिषद निर्माणकार्य विभाग यवतमाल