UP: पांच साल में लगेंगे 175 करोड़ पौधे, इस वर्ष का लक्ष्य 35 करोड़

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    लखनऊ: स्टेट ऑफ फारेस्ट की रिपोर्ट 2021 के अनुसार उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 9.23 फीसदी हिस्से में वनावरण है। 2013 में यह 8.82 फीसदी था। रिपोर्ट के अनुसार, 2019 के दौरान कुल वनावरण और वृक्षावरण में 91 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। वर्ष 2030 तक सरकार ने इस रकबे को बढ़ाकर 15 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए सरकार ने अगले पांच साल में 175 करोड़ पौधों (Plants) के रोपण का लक्ष्य रखा है।

    इसी वजह से योगी सरकार 1.0 से ही वर्षाकाल में सघन पौधरोपण करा रही है। नतीजतन 2017-18 से 2021-2022 के दौरान सरकार के प्रयास से 101.49 करोड़ पौधरोपण (Plantation ) हो चुका है।  साल दर साल की प्रगति देखें तो लक्ष्य बड़ा है इसीलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोग पौधरोपण से जुड़ें। यह जन आंदोलन बनें। नवग्रह वाटिका, नक्षत्र वटिका, पंचवटी, गंगावन, अमृतवन जैसी योजनाओं के पीछे यही मकसद है। 

    नीम, बेल, आंवला, आम, कटहल जैसे पौधों को मिलेगी वरीयता 

    सरकार की मंशा है कि वर्षा काल में जो पौधरोपण वह संबंधित क्षेत्र के एग्रोक्लाइमेट जोन (कृषि जलवायु क्षेत्र) के अनुसार हो। अलग-अलग जिलों के लिए चिन्हित 29 प्रजाति और 943 विरासत वृक्षों को केंद्र में रखकर पौधरोपण का अभियान चलेगा। इसमें राष्ट्रीय वृक्ष बरगद के साथ देशज पौधे पीपल, पाकड़, नीम, बेल, आंवला, आम, कटहल और सहजन जैसे औषधीय पौधों को वरीयता दी जाएगी।

    27 विभाग मिलकर अभियान को सफल बनाएंगे

    हालांकि पौधरोपण की नोडल एजेंसी वन विभाग है। लेकिन पौधरोपण के महाअभियान में वन विभाग के अलावा 26 अन्य विभाग भाग लेंगे। हर विभाग का लक्ष्य पहले से ही निर्धारित है। इस क्रम में सर्वाधिक 12.60 करोड़ और 12.32 करोड़ का लक्ष्य क्रमशः वन एवं ग्राम्य विकास विभाग का है। इसके अलावा कृषि विभाग और उद्यान विभाग का लक्ष्य क्रमशः 2.35 करोड़ और 1.55 करोड़ पौधरोपण का है।

    पर्यावरण सेनानियों की भी होगी महत्वपूर्ण भूमिका

    इस अभियान को सफल बनाने में पर्यावरण सेनानियों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। पर्यावरण सेनानी में कृषक और प्रधानमंत्री सम्मान के लाभार्थी, गंगा प्रहरी, सशक्त बल, महिलाएं, दिव्यांग, कम आय समूह, दृष्टिबाधित, मनरेगा जॉब कार्ड धारक, स्वयं सहायता समूह, ग्राम स्तरीय एवं नगर विकास कर्मी, वनकर्मी, आदिवासी-वनवासी, मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के लाभार्थी, शिक्षक-विद्यार्थी और महिलाएं शामिल हैं।