नई दिल्ली : समुद्री मछली शार्क को लेकर एक शोध में हैरान कर देने वाली जानकारी सामने आयी है। हम इंसानों के पास रास्ता ढूंढ़ने के लिए जैसे गूगल मैप होता है, ठीक उसी तरह शार्क के पास भी रास्ता ढूंढ़ने की एक तकनीक होती है। आपको बता कि करेंट बायोलॉजी में प्रकाशित एक रिसर्च स्टडी के अनुसार शार्क अपनी जरिये अपना रास्ता ढूंढ लेती है।
दरसल जर्मन वेबसाइट डॉयचे वेले ने भी इस शोध पर एक रिपोर्ट की है। इस रिपोर्ट के अनुसार, शार्क अपना रास्ता खोजने के लिए जीपीएस नेविगेटर की तरह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का इस्तेमाल कर सकती है। बता दें कि इसकी मदद से शार्क एकदम सटीक रास्ता तय कर लेती है। इस रिसर्च से जुड़ें मुख्य कार्यकर्ता ब्रायन केलर के मुताबिक, दशकों पुराना सिद्धांत साबित करता है कि यह लंबी दुरी तय करती है और सीधे रेखा में तैरते हुए अपने मूल बिंदु पर वापस आ जाती है।
आपको बता कि शिकार के लिए शार्क इलेक्ट्रिक तरंगों का इस्तेमाल भी करती है। ऐसे तमाम कारकों से वैज्ञानिकों का सामना हुआ और उन्हें यह विश्वास करना पड़ा की शार्क, समुद्री कछुए और कुछ अन्य प्रजातियां धरती के चुंबकीय क्षेत्र का इस्तेमाल कर सटीक रास्ता पता कर लेती है।
इस रिचर्स के अनुसार, शार्क के पास जीपीएस जैसी तकनीक होती है। इसलिए वे इसका इस्तेमाल करके हजारों किलोमीटर का सफर तय करने और फिर वापस लौट आने में सफल होती है। पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्रों से उन्हें लगातार पता चलता है कि वे किस तरफ जा रही है। उसी तरह वापस अपने मूल स्थान पर आ जाती है।
आपको बता दें कि शोधकर्ता केलर ने मेक्सिको की खाड़ी में पाई जाने वाली बोनेट हेड प्रजाति की शार्क के छोटे से परिवार सदस्यों पर यह रिचर्च की है। तब शोधकर्ताओं ने पाया की वह हर साल नदी के उसी जगह पर वापस लौट जाती है, जहा से वो गई थी। केलर के मुताबिक, यह स्पष्ट है कि शार्क को उनका घर पता है और काफी दूर जाने के बाद भी वे वापस उसी जगह पर नेविगेट कर सकती है।