पुणे. अभ्यासक्रम के माध्यम से छात्र (Student) को किस तरह से पढ़ाया जाता है, यह देखने का काम अध्यापकों (Teachers) द्वारा करना चाहिए। छात्रों के समक्ष जो सभी प्रकार के विचार जो शिक्षक रख सकता है। उसे ही ‘आदर्श शिक्षक’ (Ideal Teacher) कहा जाता है। छात्रों को परिपूर्ण बनाना ही उसका लक्ष्य (Aim) होना चाहिए।
ऐसा प्रतिपादन वरिष्ठ विचारवंत श्रावण देवरे (Shravan Devre) ने किया। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मागासवर्गीय और अल्पसंख्यांक शिक्षक-शिक्षकेतर कर्मचारी संगठन की ओर से वैश्विक शिक्षा दिन 5 अक्टूबर के अवसर पर राज्यस्तरीय गुणवंत शिक्षक पुरस्कार का वितरण देवरे के हाथों किया गया। इस अवसर पर उन्होंने उक्त प्रतिपादन किया।
हर साल दिया जाता है पुरस्कार
हर साल यह पुरस्कार दिया जाता है। राज्य के आंगनवाड़ी शिक्षकों से लेकर माध्यमिक स्कूल और कॉलेज तक के अध्यापकों को यह पुरस्कार बहाल किया जाता है। इसमें बार्शी तहसील स्थित गोरमाले गांव की स्वामी विवेकानंद विद्यालय माध्यमिक स्कूल के अध्यापक मुख़तार युसूफ मुलाणी का भी समावेश है। उनके विगत 22 साल के शैक्षणिक काम को लेकर यह पुरस्कार बहाल किया गया है। इस अवसर पर देवरे ने कहा कि अभ्यासक्रम में बदलाव करने की आवश्यकता है। फुले, शाहू, आंबेडकर के सभी किताबों का पठन होना चाहिए। यह छात्रों को उनसे प्राथमिक कक्षा से ही सीखाना चाहिए। देवरे ने कहा कि हमारा अभ्यासक्रम ही स्लो पॉइजन है, लेकिन अब उसमे बदलाव करने की आवश्यकता है। यह काम अध्यापकों को करना चाहिए।
शिक्षकों को बढ़ावा देने पुरस्कार : जानराव
संगठन के सचिव सत्यजीत जानराव ने कहा कि आज शिक्षकों को कई गुटों द्वारा अवमानित किया जाता है। ऐसा होने के बावजूद शिक्षक अपना काम बड़ी मेहनत के साथ करते है। साथ ही सरकार भी शिक्षकों को अशैक्षिक काम पर लगाती है। फिर भी अध्यापक छात्रों को पढ़ाकर अपना काम जी जान से करते रहते है। जानराव ने कहा कि शिक्षकों की इस बात को सराहना करने के लिए यह पुरस्कार दिया जा रहा है। शिक्षकों के काम राष्ट्र खड़ा होता है। शिक्षकों की सराहना होती रहेगी.
यह पुरस्कार मिलने काफी ख़ुशी हुई है। इतने साल के काम को लेकर की गई सराहना से आनंद हो रहा है। इससे काम करने हौसला और बढ़ गया है। आगे भी ऐसे ही काम करते रहेंगे। हमारी प्रथम प्राथमिकता छात्र और उसकी गुणवत्ता रहेगी। उसके लिए प्रयास करते रहेंगे।
- मुखतार युसुफ मुलाणी, अध्यापक, स्वामी विवेकानंद विद्यालय, गोरमाले