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    -सीमा कुमारी

    आज ‘शारदीय नवरात्रि’ (Shardiya Navratri) का चौथा दिन है। इस दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप ‘मां कुष्मांडा’ की पूजा की जाती है। इस बार शारदीय नवरात्रि में मां कुष्मांडा’ (Maa Kushmanda) की पूजा 29 सितंबर, गुरुवार को की जाएगी।  

    माना जाता है कि मां कुष्मांडा देवी ने सृष्टि की रचना की थी। कुष्मांडा एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है- कुम्हड़ा, यानी पेठा की बलि देना। माना जाता है कि मां कुष्मांडा की पूजा करने से हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। जानिए मां कुष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त, स्वरूप और मंत्र।

    शुभ-मुहूर्त

    नवमी तिथि आरंभ-

    29 सितंबर को तड़के 1 बजकर 27 मिनट से शुरू

    नवमी तिथि समाप्त-

    30 सितंबर सुबह 12 बजकर 9 मिनट तक

    विशाखा नक्षत्र-

    29 सितंबर सुबह 5 बजकर 52 मिनट से 30 सितंबर सुबह 5 बजकर 13 मिनट तक

    अभिजीत मुहूर्त-

    सुबह 11 बजकर 35 मिनट से दोपहर 12 बजकर 22 मिनट तक

    पूजा-विधि

    इस दिन सुबह उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद विधिवत तरीके से मां दुर्गा और नौ स्वरूपों के साथ कलश की पूजा करें। मां दुर्गा को सिंदूर, पुष्प, माला, अक्षत आदि चढ़ाएं। इसके बाद मालपुआ का भोग लगाएं और फिर जल अर्पित करें। इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर मां दुर्गा चालीसा , दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इसके साथ ही इस मंत्र का करीब 108 बार जाप जरूर करें।

    महिमा

    नवरात्रि के चौथे दिन (Navratri 4th Day) देवी कुष्मांडा की पूजा की जाती है। जो व्यक्ति शांत और संयम भाव से मां कुष्मांडा की पूजा उपासना करता है उसके सभी दुख दूर होते  है। निरोगी काया के लिए भी मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। देवी कूष्मांडा (Devi Kushmanda) भय दूर करती हैं और इनकी पूजा से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। देवी कूष्मांडा अपने भक्तों के हर तरह के रोग, शोक और दोष को दूर करती है। इन दिन देवी कुष्मांडा को खुश करने के लिए मालपुआ का प्रसाद चढ़ाना चाहिए।