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नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Superme Court) ने शुक्रवार को धनशोधन मामले (Money Laundering Case) में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विधायक और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक (Nawab Malik) को दो महीने की अंतरिम जमानत दे दी। राज्य में विपक्षी राकांपा ने पार्टी की ”मजबूत और बुलंद आवाज” को राहत देने के SC के आदेश का स्वागत किया है।

शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा के प्रवक्ता महेश तापसे ने कहा, “पार्टी नवाब मलिक का तहे दिल से स्वागत करती है। हम उनकी वापसी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। वह पार्टी की मजबूत और ऊंची आवाज रहे हैं और यह जानकर अच्छा लगा कि अदालत ने उन्हें जमानत दे दी है।”

सुप्रीम कोर्ट ने मलिक को मेडिकल आधार पर दो महीने की अंतरिम जमानत दी है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में 13 जुलाई को नवाब मलिक को मेदिकक आधार जमानत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद मलिक ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) धनशोधन मामले की जांच कर रहा है।

जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने कहा कि मलिक गुर्दे की बीमारी और अन्य बीमारियों के कारण अस्पताल में हैं, इसलिए उन्हें चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत दी जाती है। बेंच ने कहा, “हम मामले में सख्ती से चिकित्सा आधार पर मलिक को जमानत देने का आदेश पारित कर रहे हैं।”

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व मंत्री को पिछले साल 23 फरवरी को कुर्ला में गोवावाला कंपाउंड संपत्ति पर दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था, जो कथित तौर पर भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम से जुड़ा था। वह मार्च 2022 से न्यायिक हिरासत में हैं और पिछले साल मई से कुर्ला के क्रिटिकेयर अस्पताल में भर्ती हैं। विशेष अदालत ने कहा था कि वह अगले आदेश तक अस्पताल में ही रहेंगे।

उल्लेखनीय है कि एनसीपी में टूटने के बाद अब नवाब मालिक को राकांपा प्रमुख शरद पवार के साथ रहना होगा या पवार के भतीजे अजीत गुट के साथ सरकार में शामिल होना होगा। अजित पवार भाजपा के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ सरकार में शामिल होने के बाद से महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री हैं। ऐसे में अपनी रिहाई के लिए मलिक के अजित गुट में शामिल होने की चर्चा है।