-सीमा कुमारी
सनातन हिन्दू धर्म में ‘पौष’ महीने की अमावस्या का बड़ा महत्व है। साल 2022 की ‘पौष अमावस्या’13 जनवरी गुरुवार को है।’पौष अमावस्या’पौष महीने की कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि होती है। धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से यह तिथि महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन पूजा, जप, तप और दान करने से जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।
धार्मिक मान्यता है कि,अमावस्या के दिन पवित्र नदी या सरोवर में स्नान-ध्यान करने के बाद तिल तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। अत: बड़ी संख्या में श्रधालु पवित्र नदी गंगा समेत कई अन्य नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं।आइए जानें ‘पौष अमावस्या’ का शुभ मुहूर्त और महत्व।
शुभ मुहूर्त
हिंदी पंचांग के अनुसार, अमावस्या की तिथि 12 जनवरी को दोपहर में 12 बजकर 22 मिनट पर शुरु होकर 13 जनवरी को प्रात: काल 10 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी। अत: 13 जनवरी को सुबह में स्नान-ध्यान और पूजा कर लें। हालांकि, चौघड़िया मुहूर्त में भी पूजा पाठ कर सकते हैं। शास्त्रों में दोपहर 2 बजे तक अमावस्या पूजा का विधान है।
पूजा-विधि
अमावस्या के दिन पवित्र नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें।
सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करें।
तांबे के पात्र में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें।
पितृ दोष है से पीड़ित लोगों को पौष अमावस्य का उपवास कर पितरों का तर्पण अवश्य करना चाहिए।
महत्व
शास्त्रों में इस दिन का महत्व बहुत ज्यादा है। इस दिन कई शुभ अनुष्ठान किए जाते हैं। अमावस्या तिथि पर कई लोग अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं। इस दिन पितृ तर्पण, नदी स्नान और दान-पुण्य आदि करना ज्यादा फलदायी माना जाता है। यह तिथि पितृ दोष से मुक्ति दिलाने में सहायक मानी गई है।