कैसा वक्त आया जनाब, महायुति में उपेक्षित हैं नवाब

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, आपने अवध के नवाबों के किस्से सुने होंगे. उनकी शान ही निराली थी. लखनऊ के नवाब वाजिदअली शाह का नाम इतिहास में मशहूर है. सत्यजीत राय की फिल्म ‘शतरंज के खिलाड़ी’ में 2 नवाब शतरंज खेलने में इतने मशगूल रहते हैं कि दुश्मन की फौज करीब आने के बावजूद अपना खेल नहीं छोड़ते.’’

हमने कहा, ‘‘आज आप नवाबों का जिक्र क्यों कर रहे हैं? क्या किसी उजड़ी हुई रियासत के बिगड़े हुए नवाब पर आपका ध्यान गया है?’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, आपको मालूम होना चाहिए कि राकां विधायक व पूर्व मंत्री नवाब मलिक (Nawab Malik ) से महायुति को एलर्जी हो गई है. नवाब नागपुर में चल रहे विधानमंडल सत्र में आए और सत्ता पक्ष के साथ पिछली सीट पर बैठे नजर आए. एक उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने दूसरे उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को पत्र लिखकर कहा कि नवाब मलिक को महायुति में शामिल करना उचित नहीं होगा. सत्ता आती और जाती है लेकिन सत्ता से ऊपर देश महत्वपूर्ण है. नवाब की देशद्रोहियों से संबंध के आरोप में गिरफ्तारी हुई थी और वे फिलहाल केवल स्वास्थ्य के आधार पर जमानत पर बाहर हैं. आपको किसे लेना, नहीं लेना आपका अधिकार है लेकिन इससे महायुति को बाधा न पहुंचे, इसका सभी घटक दलों को विचार करना होगा. अजीत पवार ने कहा कि नवाब मलिक विधायक हैं और स्वयं तय कर सकते हैं कि उन्हें किस तरफ रहना है.’’

हमने कहा, ‘‘कोई नहीं जानता था कि नवाब को ऐसे दिन भी देखने पड़ेंगे. उनका दिल कहता होगा- कोई हमदम ना रहा, कोई सहारा ना रहा, हम किसी के ना रहे, कोई हमारा ना रहा. वक्त ने किया क्या हसीं सितम, हम रहे ना हम, तुम रहे ना तुम! एक समय था जब देश में नवाबों का दबदबा था. हैदराबाद के निजाम का पूरा नाम नवाब उस्मान अली खान था. पटौदी के नवाब मंसूर अली खान भारतीय क्रिकेट टीम के कैप्टन थे. उन्होंने शर्मिला टैगोर से निकाह किया था. लखनऊ के नवाब अपनी मामूली सी पेंशन लेने के लिए बग्घी में बैठकर शान से कचहरी जाया करते थे. रईस लोग अपने बच्चों को कहते थे- पढ़ोगे-लिखोगे होगे खराब, खेलोगे-कूदोगे होगे नवाब! नवाबों में इतनी तहजीब रहती थी कि दो नवाब ट्रेन में चढ़ने को लेकर देर तक ‘पहले आप- पहले आप’ कहते रहे, इतने में गाड़ी छूट गई.’’