Sharad-Pawar-Ajit-Pawar
शरद पवार और अजित पवार (फाइल फोटो)

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मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति (Maharashtra Politics) के लिए आज एक बहुत महत्वपूर्ण दिन है, क्योकि राजनीति के धुरंधर कहे जाने वाले चाचा-भतीजे यानी शरद पवार (Sharad Pawar) और अजित पवार (Ajit Pawar) आज फिर एक अहम मुद्दे को लेकर आमने-आमने होंगे। बता दें कि एनसीपी विधायक अयोग्यता मामले (NCP MLA Disqualification Case) का फैसला आज (15 फरवरी, 2024) विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर (Assembly Speaker Rahul Narvekar) सुनाएंगे। 

राष्ट्रवादी अजित पवार ग्रुप और शरद पवार ग्रुप दोनों ही गुटों की नजरें आज आने वाले इस फैसले पर हैं। इसके अलावा पूरे राज्य (Maharashtra पॉलिटिक्स) का ध्यान विधानसभा अध्यक्ष के नतीजे पर भी केंद्रित हो गया है। न केवल राजनेताओं का ध्यान इस पर लगा हुआ है बल्कि महाराष्ट्र की जनता भी इस फैसले के तरफ अपनी नजरें लगाई हुई है। 

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शरद पवार-अजित पवार (डिजाइन फोटो)

गौरतलब हो कि इस बीच कुछ दिन पहले चुनाव आयोग ने एनसीपी की पार्टी और सिंबल को लेकर फैसला सुनाया। इसमें शरद पवार गुट को बड़ा झटका लगा है। एनसीपी की पार्टी और सिंबल दोनों अजित पवार गुट को दे दिया गया। आगामी लोकसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में चुनाव आयोग के फैसले से शरद पवार गुट के सामने चुनौतियां बढ़ गई हैं। ऐसे में आज देखना होगा कि यह विधायक अयोग्यता मामले का फैसला किसके पक्ष में आता है, क्या इससे सहरद पौसर को राहत मिलती है या नहीं इस पर भी सबकी नजरें है। 

अजित पवार के साथ कितने विधायक?

महाराष्ट्र से 41 विधायक

नागालैंड से 7 विधायक

झारखंड 1 विधायक

लोकसभा सांसद 2

महाराष्ट्र विधान परिषद 5

राज्य सभा 1

शरद पवार के साथ कितने MLA… 

महाराष्ट्र से विधायक 15

केरल से विधायक 1

लोकसभा सांसद 4

महाराष्ट्र विधान परिषद 4

राज्यसभा 3

rahul narvekar on NCP disqualification case
NCP विधायक अयोग्यता मामला

जैसा की हम सब जानते है चुनाव आयोग ने अजित पवार गुट को पार्टी और सिंबल देने का फैसला किया। ऐसे में अब चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ शरद पवार गुट आक्रामक हो गया है और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। शरद पवार गुट के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने दावा किया है कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बताए गए मानदंडों का ही उल्लंघन करते हुए यह फैसला सुनाया है। आयोग ने किस मापदंड के आधार पर अजित पवार गुट को पार्टी का नाम देने का फैसला किया, चुनाव चिन्ह नहीं? आव्हाड ने ऐसा सवाल भी उठाया है।