Satyagraha movement of Forest Development Corporation employees

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  • कर्मचारीयों की मांगो पर वनमंत्री उदासीन 
  • अन्न त्याग आंदोलन के पांचवां दिन

चंद्रपुर/शेगांव. वनविकास निगम के कर्मचारियों के हड़ताल पर रहने के कारण वन क्षेत्र से जुड़े वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने सार्वजनिक रूप से वन संरक्षण और वन्य जीव संरक्षण कार्य करने से इनकार करते हुए निगम के कर्मचारियों की मांग का समर्थन किया. 

महाराष्ट्र राज्य वनविकास निगम के अधिकारी व कर्मचारीयों के आंदोलन का सांतवां दिन रहा. वेतन आयोग के अंतर को शासन स्तर से तत्काल मंजूरी दिलाने की मांग को लेकर 1 दिसम्बर से संपूर्ण महाराष्ट्र राज्य में अन्नत्याग आंदोलन चल रहा है. 4 दिसम्बर से निगम ने संपूर्ण काम बंद आंदोलन शुरू किया है.

इस दृष्टी से निगम के आंदेालन में सहभागी हुए अधिकारी कर्मचारीयों पर कार्रवाई करने के निर्देश प्रशासन ने मंगलवार को निकाले है. जिससे निगम के सभी अधिकारी व कर्मचारीयों में प्रशासन के खिलाफ रोष निर्माण हुआ  है. आंदोलन को आक्रामक बनाकर सभी कर्मचारियों में यह भावना निर्माण की गई है कि सभी अधिकारी व कर्मचारी भुखमरी सत्याग्रह आंदोलन में भाग लेंगे और प्रशासन व सरकार का पुरजोर विरोध करेंगे.

निगम के कर्मचारियों के वेतन आयोग के अंतर को लेकर जब वन मंत्री और संघ पदाधिकारियों के बीच नागपुर में बैठक हुई. वनमंत्री की ओर से कोई समाधान नहीं निकाला गया. जिससे वन मंत्री निगम कर्मचारियों की मांगों को लेकर उदासीन होने का चित्र दिखाई दे रहा है. 

अन्नत्याग सत्याग्रह आंदोलन का आज पांचवां दिन रहां और पूरे महाराष्ट्र में 500 से अधिक कार्यरत और सेवानिवृत्त अधिकारियों ने अन्न त्याग सत्याग्रह आंदोलन में भाग लिया है. सोमवार तक कई कर्मचारियों की हालत खराब होने पर उन्हें इलाज के लिए भर्ती कराया गया था. इनमें से कई कर्मचारियों ने चिकित्सा उपचार लेने से इनकार कर दिया है. इससे आंदोलन अधिक उग्र होने की चर्चा है. 

लगातार पांचवें दिन भी आंदोलन जारी रहने से वनविकास निगम में लकड़ी की नीलामी बंद हो गयी है और निगम के राजस्व को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. पूरे महाराष्ट्र में निगम कार्यालय का कामकाज बंद कर दिया गया है.

नागपुर में महाराष्ट्र का सबसे बड़ा गोरेवाड़ा अंतर्राष्ट्रीय प्राणी संग्रहालय है, इस परियोजना में एक वन्यजीव उपचार केंद्र है और चूंकि इस परियोजना में परियोजना की जिम्मेदारी वन विकास निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों पर है, इसलिए वहां वन्यप्राणियों की सुरक्षा की दृष्टी से एक बड़ी समस्या निर्माण हो गई है. 

वन विभाग का वन क्षेत्र वन विकास निगम के अधिकार क्षेत्र में है. निगम के कर्मचारी काम बंद आंदोलन में सहभागी होने से इस क्षेत्र में वन व वन्यजीव संरक्षण जिम्मेदारी वनविभाग के वनरक्षक, वनपाल, वनमजदूर नही लेंगे इसपर वनविभाग के वनरक्षक व वनपाल संगठन ने समर्थन देकर ज्ञापन पेश किया. इसलिए निगम के वन्य व वन्यजीव सुरक्षा की कार्य पुर्णत: ठप्प हुवे है. 

सत्र से पहले निगम के कर्मचारियों के सातवें वेतन आयोग के अंतर को मंजूरी नहीं दी गई तो बड़े पैमाने पर हड़ताल होगी और इससे सरकार का सिरदर्द बढ़ जाएगा. इसलिए इस विषय पर तत्काल प्रशासन शासन स्तर पर आंदोलन का संज्ञान लेकर कर्मचारीयों के लंबित विषय को जल्द से जल्द हल करने का अनुरोध निगम के कर्मचारीयों ने किया है. संगठन का आरोप है कि अन्नत्याग आंदोलन के पांचवें दिन भी प्रशासन ने कोई संज्ञान नहीं लिया है और प्रशासन उक्त आंदोलन को गंभीरता से न लेते हुए आंदोलन को भड़काने का काम करने का आरोप किया जा रहा है. 

प्रशासन के इस प्रकार के दबाव तंत्र व कार्रवाई से ना डरते हुवे संपूर्ण महाराष्ट्र राज्य में शांती मार्ग से अन्नत्याग आंदोलन को अधिक तिव्र करने की जानकारी संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष अजय पाटील, कार्याध्यक्ष बी बी पाटील, महासचिव रमेश बलैया, उपाध्यक्ष रवी रोटे, राहुल वाघ, सचिव गणेश शिंदे, अभिजित राले, कृष्णा सानप, सुधाकर राठोड, दिनेश आडे, मनोह काले, अशोक तुंगिडवार, शाम शिंपाले, टेमराज हरिणखेडे, विक्रम राठोड, प्रतीक्षा दैवलकर व अन्य अधिकारियों ने दी.