प्रतीकात्मक तस्वीर
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    • 16.80 करोड़ की थी लागत
    • 20.62 करोड़ तक बढ़ी कीमत

    नागपुर. मेडिकल अस्पताल में रोबोटिक सर्जरी सिस्टम स्थापित करने के लिए मशीनरी की लागत बढ़ गई. बढ़ी कीमतों के अनुसार जिला माइनिंग निधि के सदस्य सचिव एवं जिलाधिकारी को अतिरिक्त निधि उपलब्ध कराने के लिए मेडिकल डीन द्वारा अनुरोध पत्र भेजा गया लेकिन अब तक निधि उपलब्ध नहीं कराई गई. इस संदर्भ में अदालत मित्र की ओर से ध्यानाकर्षित कराने के बाद अदालत ने निधि उपलब्ध कराने के आदेश जिलाधिकारी व जिला उत्खनन निधि के सचिव को दिए थे.

    बुधवार को सुनवाई के दौरान प्रशासन ने कुछ समय देने का अनुरोध किया जिसके बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश जीए सानप ने कहा कि राज्य की वर्तमान स्थिति तथा जिलाधिकारी अवकाश पर होने के कारण राज्य को अधिक समय देना जरूरी है. अत: 8 जून को अदालत द्वारा दिए गए आदेश का पालन करने के लिए 4 सप्ताह का समय बढ़ाकर दिया गया. अदालत मित्र के रूप में अधि. अनूप गिल्डा ने पैरवी की.

    भविष्य में नहीं दिया जाएगा समय

    सुनवाई के बाद अदालत द्वारा समय तो प्रदान किया गया किंतु आदेश में स्पष्ट किया गया कि इसके बाद भविष्य में अदालती आदेश का पालन करने के लिए समय प्रदान नहीं किया जाएगा. अदालत ने स्पष्ट किया कि गत समय कई अन्य मामलों को लेकर भी हाई कोर्ट ने आदेश जारी किए हैं जिनका अब तक पालन नहीं किया गया. अत: यथासंभव इन आदेश और निर्देशों का भी पालन करने के आदेश देते हुए सुनवाई 4 सप्ताह के लिए स्थगित कर दी. अदालत का मानना था कि रोबोटिक सर्जरी सिस्टम को स्थापित करना केवल सिटी ही नहीं, बल्कि पूरे मध्य भारत के लिए महत्वपूर्ण प्रकल्प है. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से मरीजों का यहां आना लगा रहता है जिन्हें इसका लाभ होगा. सरकार की ओर से विशेष वकील अधि. फिरदौस मिर्जा ने पैरवी की.

    …तो CSR निधि से लें राशि

    सुनवाई के दौरान अदालत मित्र अनुप गिल्डा ने कहा कि प्राथमिक स्तर पर रोबोटिक सर्जरी सिस्टम लगाने के लिए 16.80 करोड़ की लागत लगने का अनुमान लगाया गया था किंतु मंगाए गए टेंडर में सबसे न्यूनतम बोली 20,62,42,862 रु. लगाई गई है जिससे 3,82,42,862 रु. की अतिरिक्त आवश्यकता है. जिला माइनिंग निधि की ओर से 16.80 करोड़ रु. पहले ही दिए गए हैं. सरकार की ओर से अतिरिक्त निधि को भी मंजूरी दी गई है.

    मेडिकल डीन ने अतिरिक्त निधि के लिए 11 मार्च और 19 अप्रैल को जिलाधिकारी को पत्र भेजा है लेकिन जिलाधिकारी कार्यालय ने अब तक इस निधि के संदर्भ में कोई निर्णय नहीं लिया है. इसके बाद अदालत ने कहा कि यदि जिला माइनिंग निधि में से इतनी राशि देना संभव न हो रहा हो तो जिलाधिकारी के पास सीएसआर निधि अंतर्गत राशि है. उसमें से एक करोड़ तक का निधि दी जा सकेगी.