
नागपुर. महानगर पालिका की ओर से संचालित हो रही बसों के माध्यम से भले ही करोड़ों रुपए का नुकसान होने की जानकारी उजागर होने के बाद गत समय परिवहन समिति की ओर से बसों की चेकिंग के लिए ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करने का प्लान तैयार किया गया था. यहां तक कि इस प्लान को अंजाम देते हुए एक दिन केवल 2 घंटे में ही 206 बसों की औचक निरीक्षण किया गया. जिसमें कुछ बसों में बिना टिकट बसों का परिवहन होने का मामला उजागर हुआ.
मामला उजागर होते ही परिवहन विभाग ने तुरंत संबंधित बसों के कंडक्टरों को न केवल निलंबित कर दिया, बल्कि सीधे बर्खास्त कर घर भेज दिया था. जिससे लंबे समय तक परिवहन विभाग की आय में इजाफा देखा गया था. किंतु अब पुन: परिवहन सेवा नुकसान की ओर बढ़ रही है. परिवहन समिति का मानना है कि परिवहन सेवा देश में कहीं भी फायदे में नहीं है, ऐसे में सेवा को लाभ और नुकसान के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. किंतु आलम यह है कि समिति की बेतरतीब कार्यप्रणाली के चलते हो रहे नुकसान के कारण लगभग 117 करोड़ की भरपाई का बोझ जनता पर पड़ रहा है.
परिवहन समिति की ओर से प्रतिदिन होनेवाली आय में कमी दिखाई देने पर इसकी जिम्मेदारी संचालन देखनेवाली डिम्स कम्पनी पर जिम्मेदारी सौंपी गई थी. हालात यह रहे कि समिति के कड़े रूख को देखते हुए काफी समय तक प्रतिदिन की होनेवाली आय में अचानक इजाफा भी देखा गया. परिवहन विभाग के कुछ अधिकारियों का मानना है कि यदि बसों के संचालन पर पैनी नजर रखी जाए, तो सेवा में भले ही लाभ ना हो, लेकिन नुकसान भी नहीं हो सकता है. जिस समय सतर्कता बरती जाती है, उस समय चोरी करनेवाले कंडक्टर सतर्क होते हैं. कुछ दिनों तक उनकी ओर से भी पूरा टिकट देकर बसों का संचालन किया जाता है. यहीं कारण है कि अचानक आय में वृद्धि देखी जाती है, किंतु बाद में पुन: स्थिति ज्यों की त्यों होती है.