बस कंपनी को 12 करोड़ देकर भूल गयी मनपा, अभी भी खटारा बसों के भरोसे संतरा सिटी, कब आएंगी नई इलेक्ट्रिक बसें..?

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नागपुर: पर्यावरण की दृष्टि से डीजल पर चलने वाली पुरानी खटारा बसों को बदलकर मनपा (Municipal Corporation) को अलग- अलग योजना के तहत नई इलेक्ट्रिक बसों (Electric Buses) का आवंटन हो रहा है। केंद्र और राज्य सरकार के अलावा स्मार्ट सिटी विभाग द्वारा भी मनपा को 144 इलेक्ट्रिक बसें उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया जिसके अनुसार टेंडर बुलाया गया। गुडगांव की पीएमआई इलेक्ट्रिक बस कंपनी को इसका ठेका दिया गया।

कंपनी के साथ किए गए लेटर ऑफ एग्रीमेंट के अनुसार 31 दिसंबर 2023 को सभी 144 बसों का आवंटन हो जाना चाहिए था जिसके लिए मनपा ने कंपनी को अग्रिम 12 करोड़ का भुगतान भी किया है किंतु कंपनी ने अक्टूबर में 10 और अब 2 दिन पहले ही 12 सहित कुल 22 बसें ही दी हैं। बताया जाता है कि मनपा की लचर कार्यप्रणाली के कारण ही बसों के आवंटन में देरी के बावजूद किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो रही है, जबकि कंपनी अपनी मर्जी से आवंटन कर रही है।

बसें मिल नहीं रहीं और IBTM की जद्दोजहद

सूत्रों के अनुसार एक ओर जहां निधि देने के बावजूद मनपा को बसें नहीं मिल रही हैं। वहीं दूसरी ओर इन बसों का संचालन सुचारु ढंग से हो, इसके लिए आईबीटीएम के तहत नई कंपनी की नियुक्ति को लेकर जद्दोजहद शुरू है।

आईबीटीएम के अंतर्गत नियुक्त होने जा रही कंपनी को लेकर लगातार बैठकों का दौर चल रहा है। बताया जाता है कि सोमवार को फिर कंपनी के साथ बैठक होने जा रही है। जिस तरह से आईबीटीएम की नियुक्ति के लिए लगातार बैठकें हो रही हैं उसकी तुलना में बस लाने के लिए किसी तरह का प्रयास होता दिखाई नहीं दे रहा है।

संचालन का अनुभव नहीं, कैसे होगी देखरेख

बताया जाता है कि निकट भविष्य में इन 144 बसों के अलावा मनपा को कई इलेक्ट्रिक बसें प्राप्त होने जा रही हैं। यही कारण है कि आईबीटीएम के तहत कंपनी नियुक्त करने के लिए 500 बसों के अनुभव की शर्त टेंडर में रखी गई थी लेकिन आईबीटीएम के लिए बुलाए गए टेंडर में पास हुई ‘चलो एप’ नामक कंपनी के पास इतनी बसों के संचालन का अनुभव नहीं है। अधिकारियों के अनुसार इस शर्त को प्री-बिड में ही शिथिल कर दिया गया था जिसके बाद 500 बसों की जगह 180 बसों के संचालन का अनुभव मांगा गया। कई तरह के पेंच होने के कारण अब तक पास हो चुकी कंपनी को भी अंतिम नहीं किया जा सका है।

पहले भी दिया गया नोटिस 

परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार बसों का देरी से आवंटन होने के कारण कंपनी को नोटिस जारी किया गया था। अब डेडलाइन ही खत्म होने के कारण जुर्माना क्यों न लगाया जाये, इसे लेकर फिर एक बार नोटिस जारी किया जा रहा है। बताया जाता है कि सरकारी कार्य पद्धति के अनुसार मनपा केवल नोटिस जारी कर जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रही है। जबकि टेंडर और कंपनी के साथ हुए समझौते के अनुसार इलेक्ट्रिक बसें लेकर पुरानी खटारा बसों से निजात पाने की दिशा में थोड़ कदम नहीं उठाए जा रहे है। बताया जाता है कि कंपनी को 10 अक्टूबर को पहला नोटिस जारी किया था। कंपनी द्वारा गंभीरता नहीं दिखाए जाने के कारण अब उस पर जुर्माना लगाने की वकालत की जा रही है।