Nagpur High Court
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    नागपुर. प्रन्यास द्वारा अधिग्रहित की गई नारी स्थित जमीन को लेकर राजस्व मंत्री की ओर से विपरीत आदेश जारी किया गया. 23 जून 2022 को जारी राजस्व मंत्री के इस आदेश को चुनौती देते हुए प्रन्यास ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. इस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश मनीष पितले ने राजस्व मंत्रालय के सचिव सहित अन्य को नोटिस जारी कर 13 अक्टूबर तक जवाब दायर करने के आदेश दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. गिरीश कुंटे, राज्य सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील अधि. एमए बरबडे ने पैरवी की. याचिका में बताया गया कि नारी स्थित सिटी सर्वे नंबर 454 की जमीन का हिस्सा प्रन्यास ने अधिग्रहित किया था. इसे अपने कब्जे में भी लिया गया. विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी द्वारा मुआवजा घोषित होने के बाद सिटी सर्वे के रिकॉर्ड में 31 अगस्त 2007 को दस्तावेजों में पंजीकृत कराया गया.

    इंदोरा हाउसिंग अकोमोडेशन स्कीम में अधिग्रहण

    याचिका में बताया गया कि विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी द्वारा घोषित मुआवजे को अब तक किसी ने चुनौती नहीं दी है. इंदोरा हाउसिंग अकोमोडेशन स्कीम के तहत मौजा नारी सर्वे नंबर 72/2, 72/5 और 72/6 जमीन अधिग्रहित की गई थी जिसका बाद में सिटी सर्वे और जांच अधिकारी ने 454 सर्वे नंबर निश्चित किया. 29 अक्टूबर 1999 को इस विवादित जमीन का सिटी सर्वे विभाग ने नापजोख भी कराया गया इसके बाद इसे प्रन्यास के नाम पर चिन्हांकित कर दिया गया. लेकिन प्रतिवादियों ने 26 नवंबर 1951 को न्यायिक प्राधिकरण द्वारा दिए गए आदेश का हवाला देकर इस जमीन पर दावा किया. इसी आधार पर प्रतिवादियों ने 12,550 वर्गमीटर जमीन को लेकर सिटी सर्वे रिकॉर्ड में नाम भी दर्ज कर दिया. सिटी सर्वे विभाग ने 26 मई 2017 को इसे दर्ज किया, जबकि 7/12 दस्तावेज में इन प्रतिवादियों का नाम ही नहीं था. यहां तक कि प्रन्यास की जमीन सिटी सर्वे क्रमांक 454 के हिस्से पर भी अवैध तरीके से नाम दर्ज किया गया. 

    सिटी सर्वे ने हटाए नाम, मंत्री ने लगाई मुहर

    याचिका में बताया गया कि सिटी सर्वे की इस गलती के खिलाफ प्रन्यास ने भूमि अभिलेख के जिला अधीक्षक के पास अपील दायर की. इस पर सुनवाई के बाद 9 सितंबर 2019 को अधीक्षक ने प्रतिवादियों के दर्ज नाम को खारिज कर दिया. इसके बाद 13 सितंबर 2019 को सिटी सर्वे के रिकॉर्ड से भी प्रतिवादियों के नाम हटा दिए गए. अधीक्षक के इस आदेश को प्रतिवादियों ने भूमि अभिलेख के सहायक संचालक के समक्ष चुनौती दी. 31 अगस्त 2021 को इसे खारिज कर दिया गया. सहायक संचालक ने इसमें दखलअंदाजी से साफ इनकार कर दिया. किंतु 23 जून 2022 को राजस्व मंत्री ने प्रतिवादियों की अपील को स्वीकृत कर भूमि अभिलेख विभाग को निर्देश जारी किए. मंत्री के इसी आदेश को प्रन्यास की ओर से चुनौती दी गई.