नाशिक : सड़क यातायात की शिकायत और आवेदन सहित अन्य प्रकरणों में पुलिस स्टेशन (Police Station) के कर्मियों (Personnel) में होने वाली रिश्वतखोरी (Bribery) आम नागरिकों के लिए नई नहीं है, लेकिन नियमित ड्यूटी, प्रस्तावित कार्य, अवकाश, आस्थापना स्तर के कामकाज पर नजर रखने वाले अमलदार (Amaldar) अब अपने साथियों से मलई के हिस्से की मांग कर रहे है। यह मुद्दा नया नहीं है, लेकिन वर्तमान में कुछ पुलिस स्टेशन सहित अन्य विभागों में हजेरी मास्तर (Hazeri Master) की मर्जी और अपेक्षित जिम्मेदारी के कारण बढ़ रहा गैरव्यवहार महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। इसके कारण कर्मियों की काना-फूसी हो रही है। जबकि, हजेरी मास्तर मलई प्राप्त करने के ख्वाब देखने में व्यस्त है। शहर अथवा ग्रामीण पुलिस दल में विविध कार्यो के लिए होने वाले गैरव्यवहार के कई प्रकरण इससे पूर्व सामने आए है, लेकिन विगत 7-8 महीने से शहर पुलिस आयुक्तालय में ‘ड्युटी सेटिंग’ का ट्रेंड जोर पकड़ रहा है।
कमाई शुरू रखने पर ध्यान
मार्च महीने में तबादलों पर नजर रखते हुए आवेदन करते हुए आर्थिक लेन देन हुई, लेकिन राज्य की राजनीतिक स्थिति और तबादलों की स्थगिती के कारण अंमलदारों के मार्ग में बाधाएं निर्माण हो रही है। इसलिए जहां है, वही कमाई शुरू रखने पर फिर से ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। जून महीने में पुलिस आयुक्तालय में ‘कलेक्टर’ के आपसी तबादले होने की चर्चा सुनने को मिली। यह, एक खुला रहस्य है, लेकिन पुलिस अमलदार वर्तमान में हजेरी मास्तर इस पद के दबाव में होने की जानकारी मिल रही है।
फायदा न देने वालों के समय में बदलाव
13 पुलिस स्टेशन, यातायात शाखा सहित मुख्यालय के परिसर में हजेरी मास्तर के साथ अमलदारों का विवाद हो रहे है। क्योंकि पुलिस स्टेशन स्तर पर बीट मार्शल, गोपनीय, स्थानीय अपराध (डीबी) और कार्यालयीन टेबल संभालने वालों के कार्यालयीन समय में बदलाव नहीं हो रहा है। इस नियुक्ति पर कार्यरत हजेरी मास्तर सहित वरिष्ठों को इसका लाभ होता है, लेकिन चौकी अथवा बंदोबस्त के कार्य करने वालों के कार्य समय में बदलाव करते हुए उनके पास अतिरिक्त कार्य सौंपा जा रहा।
कर्मियों की किल्लत से निर्माण हुई स्थिति
कर्मियों की किल्लत के कारण यह नियोजन होने की जानकारी आयुक्तालय के वरिष्ठ अधिकारी देते है। जिनके पास से कोई लाभ नहीं मिलता, उनके समय में लगातार बदलाव क्यों होता है? यह प्रश्न अनुत्तरित है। इसलिए पुलिस ही पुलिस कर्मियों से ‘ऊपर कमाई’ करने की बात कहीं जा रही है। इससे कई अंमलदार परेशान हो गए है।
शिकायत न होने का फायदा
पीड़ातें के अनुसार इस मामले में वरिष्ठ सहित आयुक्त दरबार में शिकायत करने का प्रचलन न होने से हजेरी मास्तर सहित अन्य लाभार्थियों को फायदा मिल रहा है। इसमें से कुछ प्रकरण पुलिस कमिश्नर जयंत नाईकनवरे पहुंच चुके है। विभाग अंतर्गत चल रहे इस गैरव्यवहार को रोकने के लिए किस प्रकार से बदलाव होगा, इसकी ओर पुलिस विभाग का ध्यान लगा हुआ है।
उपायुक्त से पूछो?
चुनिंदा अंमलदारों के नियमित समय में लगातार बदलाव किया जा रहा है। जबकि, अन्य कर्मियों को उनके पसंदीदा परिसर में नियुक्ति मिल रही है। इसके अलावा नियुक्ति के लिए सिधे उसी दिन सुबह साढ़े आठ बजे बुलाकर वितरीत कि जा रही है। इसका परिणाम उन कर्मियों पर होता है, जिन्हें अचानक दूर कहीं पर गार्ड अथवा बंदोबस्त पर नियुक्ति पर लगाया जाता है। इससे उनका तनाव बढ़ जाता है। इस बारे में पूछने पर सीधे उपायुक्त से चर्चा करने की अजब सलाह दी जा रही है। इस फंडे पर मुख्यालय में करीब डेढ़ महीने से काम हो रहा है। दरमियान एक महीने पूर्व मुख्यालय के कर्मी गणेश पाटिल ने पुणे में फर्जी अधिकारी बनकर मांगी हुई फिरौती भी ‘मर्जी के सेटिंग’ का परिणाम होने की बात कहीं जा रही है। सभी पुलिस स्टेशन में वरिष्ठ निरीक्षकों के खास कर्मियों को कई वर्षो तक नियुक्ति कायम है, इससे विभाग अंतर्गत ‘खाबूगिरी’ को मजबूती मिलने की बात कही जा रही है।
विभाग अंतर्गत गड़बडी
आप कमा रहे है, हमें खर्च होता है, यह कहते हुए पैसों की मांग, पसंदीदा नियुक्ति के नियोजन के लिए मांग, आरटीपीसी, कार्यालय, वीआयपी की ‘फिक्सिंग’, उपायुक्त, सहायक कार्यालय में कई वर्षो तक वहीं कर्मी, अपेक्षित चौकी, डीबी, बीट मार्शल के लिए हप्ता, स्वास्थ्य बील, वेतन निश्चिती, आस्थापना स्तर पर कार्यो में टालमटोल, पेन्शन कार्य में सेवानिवृत्त कर्मियों से चाय पानी, पुलिस स्टेशन में नियुक्ति में गड़बडी होने का आरोप लगाया जा रहा है।