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    पिंपरी: ऐन चुनाव की पृष्ठभूमि पर पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation) के सत्तादल बीजेपी (BJP) की दिक्कतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। फर्जी बैंक गारंटी (Fake Bank Guarantee) का मामला सामने लाने के बाद बीजेपी नगरसेवक तुषार कामठे ने हालिया इस्तीफा दिया। इसके बाद बीजेपी की एक और नगरसेविका (Corporator) ने अपने ही पदाधिकारियों पर अधिकारियों से मिलीभगत से 57 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार (Corruption) का पर्दाफाश किया है। नगरसेविका माया बारणे (Corporator Maya Barne) ने महानगरपालिका के नागरवस्ती विभाग में 57 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। उनका दावा है कि महिलाओं को प्रशिक्षण देने की आड़ में ठेकेदार एजेंसी अखिल भारतीय स्थानीय स्वायत्त संस्था द्वारा बीजेपी पदाधिकारी औऱ अधिकारियों की मिलीभगत से यह भ्रष्टाचार किया गया है।

    एक संवाददाता सम्मेलन में नगरसेविका माया बारणे ने बताया कि अखिल भारतीय स्थानीय स्वशासन संस्था नामक पिंपरी- चिंचवड़ महानगरपालिका में महिलाओं के प्रशिक्षण के लिए नियुक्त ठेकेदार एजेंसी ने बीजेपी के पदाधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों के सहयोग से वित्त वर्ष 2020-2021 में 57 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार किया। 

    जांच और कार्रवाई की मांग

    कोरोना काल में कर्फ्यू के दौरान ठेकेदार ने 61 हजार 155 महिलाओं को प्रशिक्षित करने का दावा किया है। बारणे ने आरोप लगाया कि वास्तव में महिलाओं को बिना किसी प्रशिक्षण के झूठे प्रमाणपत्र दिया गए। उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में लाभार्थियों की फोरेंसिक रिपोर्ट भी पेश की और इस भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। इस संवाददाता सम्मेलन में महानगरपालिका में निर्दलीय मोर्चा के गुटनेता कैलाश बारणे मौजूद थे।

    महिलाओं के दस्तावेजों का दुरूपयोग 

    उन्होंने कहा कि महानगरपालिका ने महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण देने के लिए एक निजी एजेंसी अखिल भारतीय स्थानीय स्वराज्य संस्था को नियुक्त किया है। इस एजेंसी ने महिलाओं के दस्तावेजों का दुरूपयोग करते हुए फर्जी हस्ताक्षर कर महिलाओं को प्रशिक्षित करने का दावा किया। कोरोना काल में जब कर्फ्यू लगाया था, तब उस काल में 61 हजार 155 महिलाओं को प्रशिक्षित करने का दावा किया। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मामले की जानकारी मांगते हुए उपायुक्त शहरी विकास अजय चरथंकर और आयुक्त राजेश पाटिल ने जानकारी देने से इनकार कर दिया। आयुक्त राजेश पाटिल बीजेपी पदाधिकारियों के दबाव में जानकारी देने से बच रहे थे। आयुक्त ने अभी इस मामले में सुनवाई नहीं की है।

     लाभार्थियों के हस्ताक्षर फर्जी होने का पता चला 

    सूचना का अधिकार के तहत महानगरपालिका से जानकारी के बाद हमने इसकी पुष्टि की। नागरवस्ती विभाग से प्राप्त महिलाओं की सूची खंगाली गई। उनमें से कई ने कहा कि उन्होंने कोई प्रशिक्षण नहीं लिया। जिन महिलाओं की उपस्थिति पत्र पर हस्ताक्षर हैं। इनमें से 10 हस्ताक्षर जांच के लिए पुणे की फॉरेंसिक लैब में भेजे गए थे। उनकी रिपोर्ट प्राप्त हुई और वास्तविक महिलाओं के हस्ताक्षर और उपस्थिति पत्रक पर हस्ताक्षर के बीच एक बड़ी विसंगति पाई गई। माया बारणे ने कहा कि लाभार्थियों के हस्ताक्षर फर्जी होने का पता चला है। 

    एक महिला को सिर्फ दो दिन हाथ धोने की ट्रेनिंग दी गई

    हेयर स्पा ट्रेनिंग के नाम पर एक महिला को सिर्फ दो दिन हाथ धोने की ट्रेनिंग दी गई। 90 दिनों के पाठ्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। उच्च जाति के घर की महिलाओं को नौकरानी के रूप में प्रशिक्षित दिखाया गया था। यह अखिल भारतीय स्थानीय स्वशासन के पाखंड को दर्शाता है। इस ठेका संगठन ने करोड़ों रुपए का गबन किया। हालांकि दस्तावेजों में 57 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार दिखाया गया है, लेकिन हकीकत में 150 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार है।