crop loss unseasonal rain
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वर्धा. जिले में दो दिनों चली बेमौसम बारिश से खेतों में पानी जमा हो गया़ बदरिला मौसम, कोहरा और बारिश से बीमारियों के प्रकोप का कारण बन सकते हैं. इस लिए किसानों के लिए जरूरी है कि, वे फसलों पर लगने वाले कीड़ों और बीमारियों से बचाव के उपाय करें.वर्तमान में वर्षा के कारण खेत में जमा अतिरिक्त पानी को खेत से बाहर निकाल देना चाहिए़ कपास की फसल में फलों को खराब करनेवाली बिमारी, बदलते मौसम और उच्च आर्द्रता से फसल प्रभावित हो सकती है.

प्रबंधन के लिए खेत से उचित जल निकासी की व्यवस्था करे़ आंतरिक जुड़ाव के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लू.पी. बाहरी बॉन्ड के लिए 25 ग्राम प्लस स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट 1 ग्राम या प्रोपिकोनाज़ोल 25 ई.सी. 10 मिली या पायक्लोस्ट्रोबिन 20 प्रतिशत डब्ल्यू.जी. 10 ग्राम या मेटिरम 55 प्रतिशत प्लस स्टेप क्लोस्ट्रोबिन 5 प्रतिशत डब्ल्यू.जी. इनमें से किसी एक फफूंदनाशक को 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे.

तुअर की फसल पर बारिश, बदरिला मौसम और कोहरा से रोग को बढ़ावा मिल सकता है और तुअर के पौधों के मरने का कारण बन सकता है़ प्रबंधन के लिए मेटालैक्सिल 4 प्रतिशत प्लस मैन्कोजेब 64 प्रतिशत (68 प्रतिशत) (व्यापार नाम: रिडोमिल गोल्ड) 20 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. तुअर की फसल में डाउनी फफूंदी के प्रबंधन के लिए निवारक उपाय के रूप में, दो किलोग्राम ट्राइकोडर्मा जैविक कवकनाशी को सड़ी हुई गाय के गोबर के साथ मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र में फैलाकर मिट्टी में मिला देना चाहिए़ चने की फसल में वर्तमान पोषक वातावरण एवं मिट्टी में जल भराव के कारण मर बिमारी का प्रकोप बढ़ सकता है़ प्रबंधन के लिए खेत में जमा पानी को निकाल देना चाहिए, चने की फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए. अत्यधिक पानी देने से डाईबैक की घटना बढ़ सकती है़ बुआई से पहले ट्राइकोडर्मा जैविक फफूंदनाशी 2 किलोग्राम 2 लीटर प्रति एकड़ क्षेत्र में 100 से 200 किलोग्राम गोबर या मिट्टी में मिलाकर एक एकड़ में समान रूप से फैला देना चाहिए़ ज्वार की फसल में जड मख्मी के प्रबंधन के लिए कार्बोफ्यूरॉन 3 प्रतिशत दानेदार 33 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर को बुआई के समय मिट्टी में मिला देना चाहिए़ साथ ही ज्वार के अंकुरण के 10 से 12 दिन बाद विरलीकरण के दौरान संक्रमित पौधों को निकालकर नष्ट कर दे.

ज्वार की पत्तियों पर मौजूद अंडे के समूह को पत्तियों सहित नष्ट कर दे़ कीट के जैविक प्रबंधन के लिए परजीवी कीट ट्राइकोग्रामा चेलोनिस के अंडे फसल उगने के 30 वें एवं 40 वें दिन 1.5 लाख प्रति हेक्टेयर की दर से छोड़े जाते हैं. कीट का प्रकोप दिखाई देते ही कार्बोफ्यूरॉन 3 प्रतिशत दानेदार 8.3 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करे़ सब्जियों की फसलों में मर बिमारी के प्रबंधन के लिए निवारक उपाय के रूप में दो किलोग्राम ट्राइकोडर्मा जैविक कवकनाशी को सड़ी हुई गाय के गोबर में मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र में फैलाकर मिट्टी में मिला दे़ कृषि विज्ञान केंद्र के अनुसार 500 ​​ग्राम ट्राइकोडर्मा कल्चर को पांच लीटर पानी में मिलाकर उसमें पौध एवं कंदों को 5 से 10 मिनट तक डुबाकर रखना चाहिए.