वर्धा. 25 दिनों से प्लास्टिक के डिब्बे में सिर फंसा लावारिस श्वान भूखा प्यासा भटक रहा था. यह बात विसावा एनिमलस फाऊन्डेशन के ध्यान में आते ही उन्होंने श्वान का कब्जे में लेकर सिर में फंसा डिब्बा निकालते हुए उसे जीवनदान दिया. विसावा द्वारा दिखाई गई इन्सानियत की सर्वत्र सराहना हो रही है. लावारिस श्वानों के लिये विसावा काम कर रही है.
गत चार पांच दिनों से फाऊन्डेशन की हेल्पलाइनपर लावारिस श्वान का सिर प्लास्टिक के डिब्बे में फसने जानकारी प्राप्त हुई. इसके आधार पर विसावा की टीम ने श्वान की खोज शुरु कर दी़ सिर में डिब्बा फंसा होने के कारण श्वान अपनी जान बचाने के लिये भूखा प्यासा इधर उधर भटक रहा था.
अंतत: बुधवार की देर शाम मुनोत ले-आउट प्रतापनगर परिसर में श्वान होने की खबर सुधीर चाफले को मिली़ इसके आधार पर संस्था संचालक किरण मोकदम पत्नी सारिका मोकदम व वालीन्टीअर अथर्व धमाने साथ मौके पर पहुंचे़ जहां एक नाली में श्वान धसा दिखाई दिया़ डेढ़ घंटे के अथक प्रयास के बाद श्वान के सिर में फंसा डिब्बा निकाल कर उसे जीवदान दिया.
रेस्क्यू सफल रहने से टीम ने राहत की सांस ली़ इसके लिये स्थानीय नागरिकों के साथ संस्था सदस्य स्वावलंबी विद्यालय के पूर्व मुख्याध्यापक विजय भोयर ने मदद की. विसावा अॅनिमल्स फाउंडेशन यह संस्था प्राणी सेवा की नि:स्वार्थ कार्य कर रही है़ संस्था के संचालक किरण मोकदम व सारीका मोकदम ने कहा कि, ईश्वर ने हमें पशूओं की सेवा करने का अवसर दिया है़ हमारी नि:स्वार्थ रूप से यह सेवा निरंतर जारी रहेगी.