अफसरों की मीटिंग पर मीटिंग, चीन की हिमालयीन क्षेत्र में घुसपैठ

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    चीन अपनी विस्तारवादी या जमीन हड़पनेवाली नीतियों से जरा भी बाज नहीं आ रहा है. सिर्फ भारत ही नहीं, रूस, मंगोलिया, तुर्कमेनिस्तान जैसे देश भी चीन की ओछी हरकतों से अवगत हैं. घुसपैठ कर दूसरे देश के भूभाग पर कब्जा जमाना उसकी नीति है. चोरी और सीनाजोरी चीन के स्वभाव में है. भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) 3488 किलोमीटर लंबी है. कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम व अरुणाचल से चीन की सीमा जुड़ी हुई है. इतनी बड़ी सीमा की सुरक्षा करना काफी चुनौतीपूर्ण है. चीन हर समय घुसपैठ की ताक में रहता है. उसके साथ रक्षा मंत्रालय, सेना के उच्चाधिकारियों तथा विदेश मंत्रालय स्तर पर भी कई बार मीटिंग हो चुकी है लेकिन फिर भी चीन की शरारत जारी रहती है. उसके किसी भी वादे पर एतबार नहीं किया जा सकता.

    पिछली बार लद्दाख में चीन की घुसपैठ भारत के लिए बड़ी परेशानी बन गई थी. डोकलाम में हुई झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे जबकि चीन के 100 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे. इसके बाद उस क्षेत्र में पैंगांग लेक तथा फिंगर-1 से लेकर 8 तक चीन को वापस जाने के लिए कहा गया. इसके लिए उच्चस्तर पर बार-बार लंबी चर्चा हुई और कुछ इलाकों से चीनी फौज पीछे हटी. इसकी एक वजह यह भी थी कि यदि चीन के सैनिक पीछे नहीं हटते तो भारी हिमस्खलन और भीषण ठंड की चपेट में आकर मर जाते. इतने पर भी अभी पूर्वी लद्दाख में चीन की घुसपैठ खत्म नहीं हो पाई है. कुछ इलाके ऐसे हैं जहां चीन और भारत दोनों के सैनिक गश्त लगाते हैं.

    उत्तराखंड के बाराहोती में घुसे चीनी सैनिक

    उत्तराखंड के माणा गांव के बाद से चीन का कब्जा शुरू हो जाता है. अब चीन ने पूर्वी लद्दाख में तनातनी के बाद उत्तराखंड के बाराहोती इलाके में घुसपैठ की है. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के 100 से ज्यादा सैनिक और 55 घुड़सवार तुन जुन ला पास पार करके भारतीय क्षेत्र में 5 किलोमीटर से ज्यादा अंदर आ गए. चीनी सैनिकों ने वहां कई इन्फ्रास्ट्रक्चर तहस-नहस कर दिए और लौटने से पहले एक पुल को क्षतिग्रस्त कर दिया. बाराहोती इलाके में पहले भी चीन की ओर से घुसपैठ होती रही है. सितंबर 2018 में चीनी सैनिकों ने वहां 3 बार घुसपैठ की. 1954 में बाराहोती पहला इलाका था जहां चीन के फौजियों ने घुसपैठ की थी. बाद में 1962 में चीन ने नेफा (नार्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी) में हमला किया था.

    अरुणाचल पर भी दावा जताता है

    भारत के अरुणाचल राज्य को चीन अपना हिस्सा बताता है और उसे दक्षिणी तिब्बत कहता है. उत्तराखंड के बाराहोती के चारागाह में चीनी सैनिकों का समूह करीब 3 घंटे रहा. जब तक भारतीय सैनिकों से उनका सामना होता, चीनी सैनिक लौट चुके थे. यह इलाका असैन्यीकृत बताया जाता है लेकिन इतनी बड़ी तादाद में चीन के फौजियों का आना चिंताजनक माना जाता है. जब स्थानीय लोगों ने घुसपैठ की खबर दी तो आईटीबीपी और सेना की टीम वहां जा पहुंची. भारतीय गश्ती दल पहुंचने के पहले चीनी सैनिक वहां तोड़फोड़ कर वापस जा चुके थे. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) उत्तराखंड में चीन से लगी 350 किमी सीमा की निगरानी करती है. चीन की यह हरकत अत्यंत निंदनीय है. वह हमेशा भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की फिराक में रहता है. अब तो चीन, पाकिस्तान और तालिबान के गठजोड़ का खतरा बढ़ गया है जिसे लेकर अत्यंत सतर्क और तैयार रहना पड़ेगा.