नाशिक महानगरपालिका के गुणवत्ता और नियंत्रण विभाग को लगेगा ताला!

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    नाशिक : नए सीरे से बनाए जाने वाले सड़कों (Roads) की गुणवत्ता जांच (Quality Check) करने के लिए त्रयस्थ संस्था की नियुक्ति करने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत महानगरपालिका (Municipal Corporation) के गुणवत्ता और नियंत्रण विभाग पर अब किसी का भी भरोसा नहीं रहा। इसलिए यह विभाग बंद करने की नौबत आई है। पिछले 5 सालों में शहर की सड़कों पर 650 करोड़ से अधिक रक्कम खर्च की गई। परंतु सड़कों की गुणवत्ता इस साल हुई बारिश के बाद स्पष्ट हो गई। सड़क गड्ढों में तब्दील हो गए। नए सिरे से किए गए सड़कों का उपर का हिस्सा ही बारिश के पानी में बह जाने से नई सड़कें बनाने के नाम पर केवल डांबर लगाने की बात स्पष्ट हो गई है। अन्य शहरों में कुछ साल पहले नाशिक की सड़कों की गुणवत्ता बताई जाती थी। अब सी-सॉ खेलने के लिए नाशिक की सड़कों पर वाहन चलाए। रकम बर्बादी के लिए गुणवत्ता और नियंत्रण विभाग जिम्मेदार है। क्योंकि इस विभाग ने पूरी इमानदारी से अपना काम नहीं किया। इसलिए सड़कों की यह स्थिति हुई, जिसे गंभीरता से लेते हुए महानगरपालिका प्रशासन ने सड़कों की गुणवत्ता की जांच करने के लिए त्रयस्थ संस्था का चयन करने का निर्णय लिया है। प्रशासन की ही भूमिका स्वागतार्ह है, लेकिन इस भूमिका से नाशिकवासियों के सामने कई सवाल खड़े कर दिए है। 

    क्या है गुणवत्ता विभाग का कार्य?

    महानगरपालिका में स्वतंत्र गुणवत्ता और नियंत्रण विभाग है। सड़कों के गुणवत्ता की जांच करने की जिम्मेदारी इन विभाग की है। इस विभाग के लिए स्वतंत्र उप अभियंता का चयन किया गया है। सड़कों के गुणवत्ता की जांच के लिए त्रयस्थ संस्था नियुक्त करने के लिए महानगरपालिका के गुणवत्ता और नियंत्रण विभाग पर विश्वास न होने की बात कहीं जा रही है। इसके बाद इस विभाग को कोई काम न रहने से ताला लगाकर यहां के अधिकारी-कर्मचारियों को वर्ग किया जाएगा। 

    झुटे प्रयोग का क्रम इस प्रकार है

    2015 में सिंहस्थ कुंभमेला हुआ। इसके पहले बड़े तौर पर सड़कें बनाई गई। तत्कालीन कमिश्नर डॉ. प्रवीण गेडाम ने सड़कों के साथ अन्य कार्य की गुणवत्ता की जांच करने के लिए अभियांत्रिकी महाविद्यालय और पवई आयआयटी संस्था का चयन किया। 2017 में अभिषेक कृष्णा ने भी त्रयस्थ संस्था की घोषणा की। परंतु उनके तबादले के बाद तत्कालीन आयुक्त तुकाराम मुंढे ने सड़कों का कार्य रोक दिया। 2018 में राधाकृष्ण गमे ने सड़कों के कार्य पर खुद ध्यान देते हुए त्रयस्थ संस्था से कार्य की जांच करवाई। गमे के बाद बड़े तौर पर सड़कों का कार्य हुआ, जिसके कार्य की गुणवत्ता अब गड्ढों से भरी सड़कों पर चलने के बाद पता चलती है। इसका अर्थ यह है कि 2015 को छोड़कर त्रयस्थ संस्था नियुक्त करने का प्रयोग इसके पहले हुआ है, लेकिन इससे कुछ भी हासिल नहीं हुआ। केवल समय निकालते हुए नागरिकों को गुमराह किया गया। 

    कुछ साल पहले हुए प्रयोग से अधिकारी हुए थे बेहाल

    डॉ. गेडाम द्वारा किए गए त्रयस्थ संस्था नियुक्ति के प्रयोग से अधिकारियों की नींद हराम हो गई थी। कार्य गुणवत्तापूर्ण न होने पर कार्रवाई की चेतावनी ठेकेदारों की बैठक में दी थी। परिणामस्वरूप आज भी रिंग रोड की सड़कें सुस्थिति में है। डॉ. गेडाम द्वारा लिया गया त्रयस्थ संस्था नियुक्ति निर्णय के बाद कुछ घटनाएं हुई, जिसमें साधु ग्राम निर्माण कार्य करने वाले एक अभियंता मिट्टी के ढेर से गिर गया। वह एक महीने तक उपचार के लिए घर में ही रहा। एक अभियंता को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। वह भी घर में ही रहा। त्रयस्थ संस्था के निर्णय से कई अधिकारियों को जोर का झटका लगा, लेकिन कार्य की गुणवत्ता में सुधार हुआ।