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पूर्व IPS अधिकारी के इस ट्वीट से सोशल मीडिया पर बवाल मच गया।

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    नई दिल्ली, रूस और यूक्रेन (Russia Ukraine War) के बीच जंग शुरू हो गई है। यूक्रेन में हजारों भारतीय नागरिक (Indian) और छात्र फंसे हुए हैं। वहीं, भारतीय सरकार यूक्रेन से अपने लोगों को निकालने की कोशिश कर रही है। कई लोगों को यूक्रेन से निकाला भी गया। लेकिन, बहुत सारे लोग अब भी मदद की आस में हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर एक रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी और केरल के पूर्व DGP के ट्वीट पर बहस शुरू हो गई है।

    दरअसल, पूर्व आईपीएस अधिकारी डॉ.एनसी अस्थाना (Dr. N. C. Asthana) ने यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिक और छात्रों को लेकर ट्वीट किया था। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “यूक्रेन में फंसे छात्रों को निकालने के लिए भारत सरकार की केवल नैतिक जिम्मेदारी है, कोई कानूनी जिम्मेदारी नहीं है। बेवजह सरकार की आलोचना करना बंद करें। वे अपने निजी स्वार्थ के लिए गए थे। यदि कोई भारतीय अंटार्कटिका या गहरे समुद्र में खतरे में है, तो क्या भारत सरकार को उसे निकालना चाहिए?”

    पूर्व IPS अधिकारी के इस ट्वीट से सोशल मीडिया पर बवाल मच गया। कई लोगों ने पूर्व आईपीएस अधिकारी के ट्वीट पर रिएक्ट कर रहे है। एक यूजर (@Mihir23760756) ने लिखा- “इस तर्क के साथ, भारत सरकार ने इराक-कुवैत संघर्ष के दौरान 1990 में कुवैत से 1.7 लाख लोगों को हवाई जहाज से निकालकर अपने संसाधनों को अनावश्यक रूप से बर्बाद कर दिया, क्योंकि वो सभी लोग अपनी इच्छा से अधिक पैसा कमाने के लिए वहां गए थे।”

    इसके जवाब में आईपीएस अधिकारी अस्थाना ने लिखा, ‘भारत सरकार ने कभी नहीं कहा कि वह यूक्रेन से सुरक्षित निकालने की पूरी कोशिश नहीं करेगा। लेकिन यदि इस दौरान कोई व्यक्ति हताहत हो जाता है, तो भारत सरकार को दोष नहीं दिया जा सकता। दया और कानूनी दायित्व का अंतर समझिये, प्रभु। दया में करोड़ों खर्च दें, लेकिन डंडा मार कर नहीं कराया जा सकता। War Zone की कुछ बाधाएं हैं।’

    पूर्व IPS ने एक के बाद एक कई और ट्वीट किए। एक ट्वीट में उन्होंने लिखा- ‘भारत सरकार किसी भी व्यक्ति (पर्यटकों सहित) की सुरक्षा और भलाई के लिए तभी तक जिम्मेदार है जब तक वे भारतीय क्षेत्र में हैं, दुनिया के किसी कोने में नहीं! डफर्स को पता होना चाहिए, मूर्खतापूर्ण भावनाएं कानूनी विचारों को खत्म नहीं कर सकती हैं। भारत सरकार कुछ अनुग्रह कर सकती है लेकिन बाध्यकारी नहीं।

    एक और ट्वीट में वो लिखते हैं- ‘वर्तमान में, यूक्रेन संप्रभु है। हम उनकी अनुमति और प्राथमिकताओं से ही कुछ भी कर सकते हैं। उनके अपने नागरिक भाग रहे हैं, शहर में ट्रैफिक जाम हो रहा है। हम नैतिक रूप से भी, उनके लुप्तप्राय हवाई अड्डों के प्राथमिकता के उपयोग की मांग नहीं कर सकते।’

    वो आगे लिखते हैं- ‘कई निरक्षर गलत समझते हैं कि पासपोर्ट पर क्या छपा है। यह एक अपील है, विदेशी सरकारों से प्रार्थना है कि जरूरत पड़ने पर भारतीय नागरिकों की मदद करें, भारत सरकार का दायित्व नहीं! ब्रितानियों के 200 वर्ष और भारत सरकार के 74 वर्ष बर्बाद हो गए, शिक्षा भारतीयों को प्रबुद्ध करने में विफल रही।’

    साथ ही उन्होंने यह भी कहा- ‘कोविड के दौरान विदेशों में भारतीयों के लिए भारत सरकार ने जो किया वह नि: शुल्क था और उन्हें इसके लिए हमेशा आभारी रहना चाहिए, भले ही उन्होंने किराया चुकाया हो। कानूनी तौर पर, भारत सरकार केवल दूतावास और विदेशों में ऐसे सरकारी कर्मचारियों के लिए जिम्मेदार है, निजी नागरिकों के लिए नहीं। बेरहम लग सकता है लेकिन यह कानूनी वास्तविकता है।’