By नवभारत | Updated Date: Nov 19 2019 3:35PM |
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भोपाल. मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों की हालत किसी से छिपी नहीं है. खासतौर पर ग्रामीण अंचलों में जहां अध्यापकों की कमी तो होती है साथ ही अन्य स्टाफ की भी कोई खास व्यवस्था नहीं रहती है. ऐसे में स्कूल की साफ-सफाई का ध्यान रख पाना मुश्किल होता है. स्कूलों में गंदगी की वजह से ही विद्यार्थियों में न जाने कितनी बीमारियां फैलती हैं. शाला में स्वच्छता बनी रहे और विद्यार्थी-अभिभावक, ग्रामीण स्वच्छता को लेकर आगे आएं इस सब को ध्यान में रखते हुए शहपुरा के सहजपुर हाईस्कूल की प्राचार्य लक्ष्मी पोर्ते रोज स्कूल आते ही सबसे पहले टॉयलेट साफ करती हैं.
स्कूल परिसर में स्वयं झाड़ू लगाती हैं. प्राचार्य के हाथों में झाड़ू देखते ही विद्यार्थी भी उनका हाथ बंटाते हैं और कभी-कभी ग्रामीण भी उनका सहयोग करते हैं. स्कूल का अन्य स्टाफ भी इस कार्य में सहभागी बनता है. प्राचार्य लक्ष्मी पोर्ते का काम स्वच्छता तक सीमित नहीं है. उनका मिशन स्कूल को आदर्श बनाना है. 2012 में उनकी पदस्थापना सहजपुर के इस माध्यमिक शासकीय स्कूल में हुई. कक्षा 6वीं से 8वीं तक संचालित स्कूल में बच्चे मध्या- भोजन जमीन पर बैठकर करते थे. ये देखकर प्राचार्य को अच्छा नहीं लगा. उन्होंने बेंच-टेबल का इंतजाम किया ताकि विद्यार्थी बैठककर भोजन करें. छात्राओं की सुरक्षा की चिंता ने प्राचार्य को इतना परेशान कर दिया कि उन्होंने अपने वेतन से पूरे स्कूल में 4 कैमरे लगवा दिए. प्राचार्य का कहना है कि मूलतः उनका पद हेडमास्टर का है परंतु एक शाला-एक परिसर होने के बाद उन्हें प्रभारी प्राचार्य की जिम्मेदारी सौंपी दी गई.
विद्यार्थी संख्या बढ़ कर 557
प्राचार्य लक्ष्मी पोर्ते का कहना है कि स्कूल के निरंतर विकास और शैक्षणिक गतिविधियों से प्रभावित होकर क्षेत्र के 40 विद्यार्थियों ने इस साल प्राइवेट स्कूल से नाम कटवाकर इस स्कूल में दाखिला लिया. प्राचार्या ने बताया कि पर्यावरण को हरा-भरा बनाने के लिए वे लगातार प्रयासरत हैं और इसके लिए वह मटका संबद विधि से स्कूल में पौधा रोपण करती रहती है. इस स्कूल में साल 2012 में सिर्फ 195 विद्यार्थी आज इनकी संख्या 577 पहुंच गई है. प्राचार्य के प्रयासों को देखते संभागायुक्त, कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ उन्हें सम्मानित कर चुकी हैं.